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मनरेगा के तहत गांवों में मिले 200 दिवस तक रोजगार -मुख्यमंत्री


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जयपुर, 11 मई (हि.स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मनरेगा की तर्ज पर ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना शुरू करने का आग्रह किया है। गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी पर गुजर-बसर करने वाले, गरीब, मजदूर एवं जरूरतमंद तबके की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्हें रोजगार मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र मनरेगा की भांति ही शहरी क्षेत्र के लिए भी ऐसी योजना लाने पर विचार करे।  मुख्यमंत्री गहलोत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की वीडियो कांफ्रेंस में कोरोना से बचाव, लॉकडाउन तथा इस संकट से मुकाबला करने के लिए सुझावों के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दे रहे थे। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए न्यूनतम 200 दिवस रोजगार उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब केन्द्र एवं राज्य सरकारों को दोहरे मोर्चे पर लड़ाई लडऩी है। एक तरफ कोरोना से जीवन बचाने की जंग तो दूसरी तरफ आजीविका बचाने और आर्थिक हालात पटरी पर लाने की लड़ाई। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण केन्द्र एवं राज्यों के राजस्व संग्रहण पर विपरीत असर पड़ा है। केन्द्र की मदद के बिना यह असंभव है कि राज्य इस संकट का मुकाबला कर सकें। इसके लिए जरूरी है कि केन्द्र जल्द से जल्द व्यापक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज उपलब्ध कराए।  गहलोत ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता जरूरतमंद वर्ग की मदद करना है। हमें ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले। उन्होंने कहा कि इस समय बेरोजगारी की दर 37.8 प्रतिशत हो गई है जो सर्वाधिक है। राज्यों को मिले जोन निर्धारण की छूट -मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के अगले चरण में विभिन्न जोन के निर्धारण और प्रतिबंधों को लागू करने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए। राज्यों को यह अधिकार मिले जिससे कि वे स्थानीय स्तर पर यह तय कर सकें कि किन गतिविधियों के लिए उन्हें छूट देनी है और किन को प्रतिबंधित रखना है।  गहलोत ने कहा कि संकट की इस घड़ी में किसानों को संबल देना हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए जरूरी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, चने एवं सरसों की खरीद की सीमा को कृषि उत्पादन के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को प्रदेश में टिड्डी के प्रकोप की जानकारी दी और इसके नियंत्रण में सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बीते साल टिड्डियों के हमले के कारण प्रदेश के 12 जिलों में फसलों तथा वनस्पति को बुरी तरह नुकसान पहुंचा था। इस साल 11 अप्रैल से ही प्रदेश में टिड्डियों के हमले शुरू हो गए हैं और अजमेर तक भी टिडडी दल पहुंच गए हैं। इससे राजस्थान और गुजरात के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से कम है। साथ ही डबलिंग रेट जहां राष्ट्रीय स्तर पर 12 दिन है। वहीं राजस्थान में यह 18 दिन है। हमारे राज्य में कोरोना संक्रमितों की रिकवरी दर राष्ट्रीय औसत 30 प्रतिशत के मुकाबले 57 प्रतिशत है।

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