top of page

रक्षाबंधन - वर्तमान परिप्रेक्ष्य में


"बंधा हुआ इक इक धागे में भाई बहन का प्यार - राखी धागों का त्योंहार"*

इसे भारतवर्ष में हमारे मनीषियों, चिंतकों, पूर्वजों के द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का प्रतिफल ही कहेंगे कि युग युगांतर बीत गए लेकिन आज भी *हम साल के विशेष दिनों को त्यौंहारों के रूप में ना सिर्फ मनाते हैं बल्कि उत्तरोत्तर आगे संवर्धित भी करते हैं।*

बालपन से ही हमने घरों में ऐसा होते देखा है। होली, दीवाली, रक्षाबंधन, धार्मिक मासों के रूप में ये हमारी संस्कृति, जीवन चक्र के अभिन्न अंग बन गए हैं और हमें समुचित कारण देते हैं उत्साहित होने का। संचार करते हैं *हमारी जीवनशैली में नवीन ऊर्जा का, उमंग का।*

लेकिन इस बार सरोकार कुछ बदले हुए हैं। बानगी देखिये की कोरोना नामक कारण ने पुनः सम्पूर्ण विश्व में मानवीय संवेदनाओं को नवीन परिभाषा दी है।


ज्ञातव्य है कि *प्रकृति ने मनुष्य को अनुकूलन (adaptation) का एक नैसर्गिक गुण प्रदान किया है और कितनी भी विपरीत परिस्थिति उत्पन्न क्यों ना हो जाए, हम उठते आए हैं, संकलित होते आए हैं, संभलते आए हैं* और हर *प्रतिकूल को अनुकूल* में बदलते आए हैं।


विगत अर्द्ध वर्षीय चक्र को देखेंगे तो पता लगता है कि 99.9% लोगों ने इस बात के मर्म को समझा है कि *जब स्थिति गंभीर हो तो परिवार ही सबसे अधिक संबल प्रदान करता है और उसकी सुरक्षा ही हम सभी की सर्वप्रमुख प्राथमिकता* हुआ करती है। कुछ लोगों ने तो *उच्चतर मापदंड स्थापित किये हैं और extended family के term को जीवंत किया है।* इस अवधि में *प्रत्येक धर्म-सम्प्रदाय के लोगों ने अद्भुत जिम्मेदारी का परिचय दिया है एवं स्थिति की मांग के अनुसार एकजुट रहते हुए पर्व-दिवसों को घरों में रहते हुए भी समयोचित रूप से निर्वहन किया है।*


आज रक्षाबंधन के पर्व पर फिर से उसी सोच के साथ इस तथ्य को समझते हुए आगे बढ़ना होगा कि *धागों के प्रतीकात्मक नीहित भाव के समरूप ही जैसे हम सदियों से अपनी बहन की रक्षा का वचन धारण करते हैं उसी जिम्मेदारी के साथ इस बार घरों पर रहते हुए भिन्न भिन्न प्रतीकों को आत्मसात करते हुए अनावश्यक बाहर निकलने से बचते हुए अपने भाई-बहन की सुरक्षा को अतिरिक्त कवच प्रदान करें, समझें और समझाएं।*

रक्षाबंधन को और अधिक तर्कसंगत बनाएं

@राजेश जैन ( देश की धरती )

Comments


  • WhatsApp-icon
  • Wix Facebook page
  • Wix Twitter page
  • Wix Google+ page
Copyright Information
© copyrights reserved to "dainik desh ki dharti"
bottom of page