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प्रदेश की 500 खाद्य तेल मिलों में होने लगा 3000 टन प्रतिदिन का उत्पादन


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जयपुर, 10 मई (हि. स.)। राज्य में रीको औद्योगिक क्षेत्रों के साथ ही अन्य औद्योगिक क्षेत्रों व ग्रामीण इलाकों में स्थापित 210 से अधिक वृहद आकार औद्योगिक इकाइयां आरंभ हो गई है। प्रदेश में 500 से अधिक खाद्य तेल मिलों में उत्पादन आरंभ हो गया है। इन 500 तेल मिलों द्वारा एक मोटे अनुमान के अनुसार 3 हजार टन प्रतिदिन खाद्य तेल का उत्पादन किया जाने लगा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान से देश के जाने माने ब्रॉण्डनेम के खाद्य तेलों का उत्पादन होता है। अडानी विल्मर, काण्डा ऑयल मिल, रुचि सोया, खंडेलिया ऑयल मिल, मणिशंकर ऑयल मिल जैतपुरा, श्रीहरी ऑयल मिल, गोयल वेज ऑयल कोटा, शिव एडिवल, भवानी फेट्स, श्री फेट एण्ड प्रोटीन सहित कई जानी-मानी खाद्य तेल मिलों में उत्पादन हो रहा है। मोटे अनुमान के अनुसार इन तेल मिलों में 11500 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं। राज्य में फाच्र्यून, महाकोष, ज्योतिकरण, कबीरा, सदाबहार, इंजन ब्राण्ड के खाद्य तेल का उत्पादन हो रहा है और इन ब्राण्डों की समूचे देश में पहचान और मांग है।  उन्होंने बताया कि तेल मिलों द्वारा लॉक डाउन परिस्थितियों और केन्द्र व राज्य सरकार की एडवाइजरी और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकोल को देखते हुए अपनी उत्पादन क्षमता का करीब 50 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा है। प्रदेश में बड़ी संख्या में एमएसएमई उद्योगों ने भी काम शुरु करने की पहल की है। इससे राज्य में औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर आने लगी है। उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान सरसों उत्पादन में समूचे देश में अग्रणी है वहीं सोयाबीन और मूंगफली का भी प्रमुख उत्पादक प्रदेश है। प्रदेश से जाने-माने ब्राण्डों से सरसों, सोयाबीन और मूंगवऊली के तेल का उत्पादन हो रहा है। राज्य के तेल की प्रदेश से बाहर भी पहचान और मांग है। राजस्थान के सरसों तेल की बंगाल और बिहार में बहुत अधिक मांग है। इससे पहले निंबाहेड़ा की एक इकाई को छोडकऱ शेष सभी सीमेंट प्लांटों में काम शुरु करवाया जा चुका है। प्रदेश में बड़ी तेेल मिलों के साथ ही गांवों व कस्बों में छोटी-छोटी तेल घाणियों से भी तेल का उत्पादन होने लगा है।

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