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योग बढ़ाता है आन्तरिक सौंदर्य


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सुन्दर दिखने की चाहत में आजकल फिटनेस सेन्टरों, जिम, सैलून, स्पा तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मंहगे सौदर्य प्रसाधन खरीदने की होड़ देखी जाती है। प्रदूषण, तनाव, लाइफ स्टाइल तथा दिन-रात की भागदौड़ भरी जिन्दगी से लोग समय से पहले बूढ़े दिखने लगते हैं। युवावस्था में ही चेहरे पर झुर्रियां, कील-मुंहासे, फुंसियाँ, काले धब्बे लगातार परेशानी का सबब बन जाते हैं। सुंदर दिखने की लालसा में लोग क्या-क्या नहीं करते। ब्यूटी सैलूनों में घण्टों फेयरनेस ट्रीटमेंट तथा कॉस्मेटिक पर भारी खर्च करने के बाद भी चेहरे का निखार कुछ दिनों बाद गायब हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप शारीरिक रूप से सुन्दर हैं तो आपका सौन्दर्य चेहरे पर स्वभाविक रूप से झलकेगा।


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कुछ योग आसनों के नियमित अभ्यास से आप प्राकृतिक सुन्दरता ग्रहण कर सकते हैं। वास्तव में अगर आप योग साधना को जीवन से जोड़ लें तो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही प्राकृतिक तौर पर सुन्दर तथा प्रभावशाली बनाया जा सकता है। साथ ही महँगे सौन्दर्य प्रसाधनों, ब्यूटी सैलूनों के महँगे उपचार से बचा जा सकता है। प्रतिदिन आधा घण्टा सुबह तथा शाम सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपाल भाती, धनुर आसन तथा सांसों की क्रिया के माध्यम से आप अपने यौवन, सौन्दर्य तथा प्राकृतिक आकर्षण को जीवनपर्यन्त बनाए रख सकते हैं।प्राणायाम से जहां तनाव कम होता है वहीं शरीर में प्राण वायु का प्रभावी संचार तथा रक्त का प्रभाव बढ़ता है। प्रतिदिन 10 मिनट के प्राणायाम से मानव शरीर की प्राकृतिक क्लीजिंग हो जाती है। प्राणायाम का आज पूरे विश्व में अनुसरण किया जाता है। प्राणायाम से मानव खोपड़ी में व्यापक आक्सीजन तथा रक्त संचार होता है। जिससे बालों की प्राकृतिक रूप से वृद्वि होती है तथा बालों का सफेद होना तथा झड़ने जैसी समस्या को रोकने में भी मदद मिलती है।


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योग का मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।आमतौर पर अनिद्रा, तनाव आदि में पैदा होने वाली कील, मुहांसे, काले धब्बे आदि की समस्याओं के स्थाई उपचार में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उत्थान आसन से आप ऐसी समस्याओं का स्थाई उपचार पा सकते हैं। कपालभाती से खून को साफ करने में मदद मिलती है। धनुर आसन से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है इससे शरीर की त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है तथा त्वचा की रंगत में निखार आता है।योगासन से रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचकदार बनाया रखा जा सकता है। जिससे शरीर लम्बे समय तक लचीला तथा आकर्षक बनता है। योग से शरीर के भार को कम करने में भी मदद मिलती है तथा इससे मांसपेशियां नरम तथा मुलायम हो जाती है। सूर्या नमस्कार से शरीर पर बढ़ती आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है। यह चेहरे तथा शरीर पर बुढ़ापे की भाव मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।

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चेहरे की झुर्रियों से मुक्ति पाने के लिए सूर्य नमस्कार तथा प्राणायाम दोनों प्रभावी आसन है।

अनेक सौंदर्य समस्याएं मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव कम करने तथा स्वछन्द मानसिक वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है।अच्छा स्वास्थ्य तथा सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि आप आन्तरिक रूप से सुन्दर नहीं हैं तब तक आपका सौंदर्य चेहरे पर नहीं झलक सकता। सुन्दर त्वचा, चमकीले बाल तथा छरहरे बदन के लिए अच्छी सेहत का होना परम आवश्यक है। वास्तव में मैंने समग्र स्वास्थ्य के लिए आर्युवेदिक सिद्धान्त को प्रोत्साहित किया। जिसमें योग को इस कार्यक्रम का अभिन्न अंग माना गया। मेरी समग्र सौंदर्य देखभाल की विशिष्ट अवधारणा को विश्व भर में सराहा गया है। वास्तव में मेरा विचार है कि आज की आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य तथा सौंदर्य के सन्दर्भ में योग काफी सार्थक है।आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग-दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत, संयमित और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र।

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योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं वरन यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भागदौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव, एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं। भागदौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जबतक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता, हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है।

@शहनाज हुसैन

(लेखिका अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ हैं।)


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