एक युवा अभिनेता का यूं चले जाना
- Desh Ki Dharti

- Jun 16, 2020
- 3 min read
डॉ. रमेश ठाकुर

आत्महत्या और नाकामी, दो ऐसे पहलू हैं जिनका आपस में गहरा संबंध होता है। नाकामी और असफलता मिलने पर व्यक्ति ऐसा करने को प्रेरित होता है। सुसाइट से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि जो इंसान अपनी लाइफ में फेल होता है, वह मौत को गले लगाता है। असफल व्यक्ति के लिए तब आत्महत्या अंतिम सहारा बनती है। लेकिन ऐसी घटनाओं पर उठने वाले सवाल तब ठहर जाते हैं जब ऐसे कदम उठाने वाले को आत्महत्या करने की जरूरत ही नहीं? युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ऐसा ही मामला है।अल्प अवधि में करियर में सफलता की बुलंदियां छूने वाले युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर अनायास संदेह होता है? बहुतेरे ऐसे सवाल हैं जिसके जवाब आज सुशांत की मौत पर आकर रूक रहे हैं। पुलिस का बयान आया है। बहुत ही जल्दी उन्होंने घटना को आत्महत्या करार दे दिया है। जबकि, घटना अनहोनीे होने का संदेह पैदा करती है। आत्महत्या करने की कोई खास वजह भी दिखाई नहीं पड़ती। परिवार के लोग मानने को राजी नहीं हैं कि सुशांत ऐसा कायरतापूर्ण कदम उठाएगा। स्थिति को देखकर लगता है मामला पुलिस को नहीं, बल्कि फॉरेंसिक जांच को सौंपा जाए तभी कुछ निकलकर आ पाएगा। नहीं तो ये घटना भी दिव्या भारती और श्रीदेवी की मौत की तरह पहेली बनकर रह जाएगी।जो करीब से जानते हैं उन्हें पता था कि सुशांत बहुत जिंदादिल अभिनेता थे। पढ़ाई-लिखाई में भी हमेशा अव्वल रहे। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई थी। बिहार के पूर्णिया जिले के मलडीहा जैसे गांव से पटना तक पहुंचे एक नौजवान जो कि पढ़ने में इतना तेजतर्रार था कि पहली कोशिश में ही देशभर में 7वां स्थान पाकर टाॅपर रहे। फिजिक्स में ओलंपियाड जीता हो, खेल जगत में भी आगे रहता हो। कहा जा रहा है कि सुशांत पिछले कुछ महीनों से डिप्रेशन में थे और रोजाना दवाइयां लेते थे। अगर डिप्रेशन में थे भी तो कोई बड़ी बात नहीं, कई लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं। पर, आत्महत्या तो कोई नहीं करता। सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को बांद्रा के हिल रोड स्थित अपार्टमेंट की 12वीं मंजिल पर मौजूद घर में फांसी लगाई। सुशांत में औरों को अपना बनाने की सबसे बड़ी खूबी थी। सामने वाले से तुरंत घुल-मिल जाते थे। उनमें घमंड-गुरूर, दूर-दूर तक नहीं था। सवाल यही है जिसका कैरियर टॉप पर हो, लाखों फॉलोअर्स हो, घर-परिवार में खुश होने के बावजूद कोई ऐसा मूर्खतापूर्ण कदम क्यों उठाएगा?वैसे इंसान अक्सर हार-जीत, सफलता-असफलता के फेर में ऐसे फंस जाता है जिससे भूल जाता है कि जिंदगी में सबसे जरूरी जिंदगी ही होती है। दरअसल, यह हमारी कमी है, हमारे इस आधुनिक समाज के बनाए ताने-बाने की वह फसलें हैं जिन्हें हम खुद बोते हैं। चार दिन पहले ही सुशांत राजपूत की मैनेजर की मौत हुई थी और अब सुशांत ने मौत को गले लगा लिया। दोनों की मौत में हो सकता है कोई सम्बंध हो! निश्चित रूप से पुलिस दोनों की अनसुलझी कड़ियों को आपस में जोड़ेगी। सुशांत की मैनेजर की मौत हुई, तो व्यक्तिगत मामला मानकर लोगों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि आधुनिक समाज में कहां किसी को समय है और हम भी तो अपनी प्राइवेसी को लेकर इतने सतर्क होते हैं कि कोई हमारी परेशानी के बारे में पूछ ले तो बोलते हैं 'आपको क्या? हो सकता है मैनेजर की मौत से सुशांत परेशान हों, टूट चुके हों। लेकिन प्राइवेसी के सम्मान में किसी ने उनको समझने-समझाने की कोशिश नहीं की हो, नतीजा उनको अवसाद तक ले आया और आत्महत्या के मुहाने छोड़ दिया हो।सुशांत ने हाल ही में छिछोरे नाम की फिल्म में भूमिका निभाई थी जो आत्महत्या जैसी कहानी पर केंद्रित थी। फिल्म में सुशांत ने सुसाइड की कोशिश करने वाले अपने बेटे को जीने का हौसला देने वाले पिता का रोल निभाया था। लेकिन उन्होंने जो रील में बताया वह असल जिंदगी में करके चले गए। दरकार अब इस बात की है सुशांत की मौत आत्महत्या है या हादसा, उचित जांच होनी चाहिए, माकूल निष्कर्ष निकलना चाहिए क्योंकि सच्चाई का सभी को बेसब्री से इंतजार रहेगा। फिल्म जगत से जुड़े लोग क्यों आत्महत्या करते हैं यह स्थिति साफ होनी चाहिए। सुशांत की मौत पर जो संदेह जताया जा रहा है उससे पर्दा हटना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)























































































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