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किसानों की पूरी उपज ख़रीदे सरकार - कौशल


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अंता 8 मई । भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता तथा  यूथ चला बूथ समिति के प्रदेश सह संयोजक एवं पूर्व सांसद स्व रघुवीरसिंह कौशल के पौत्र प्रखर कौशल ने शुकवार को ईमेल द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदय को पाँचसूत्रीय मांग पत्र भेज कर बारां जिले के किसानों की उपज को पूरा मूल्य दिलवाये जाने हेतु संपूर्ण उपज समर्थन मूल्य पर खरीद की मांग  की है ।  उन्होने बारां जिले में समर्थन मूल्य का लाभ किसानों को नहीं मिलपनें की जानकारी ईमेल द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा श्रीमती वसुंधरा राजे, क्षेत्रीय सांसद दुष्यंत सिंह , नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया को भी दी है।

कौशल ने मांग की है कि " बारां जिले में खरीद केंद्र तुरन्त बढ़ाये जाएं", किसान की पूरी उपज समर्थन मूल्य पर खरीदी जाये,किसान को यदि कम मूल्य पर उपज बेचना पढ़े तो उसको शेष अंतर मूल्य का भुगतान राजस्थान सरकार के द्वारा ,  मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर " भावन्तर योजना " की तरह करवाया जाये । सोयाबीन एवं अन्य नष्ट फसलों की क्षतिपूर्ति की जो घोषणा राज्य सरकार ने की थी । उसका भुगतान कृषकों के खातों में करवाया जाये। और कोरोना संक्रमण के कारण लागू किये गये लॉक डॉउन से आवाजाही बंद होने से फसलों को काफी नुकसान कटाई पूर्व हुआ है। इसलिए किसानों को प्रति हेक्टर क्षतिपूर्ति पैकेज दिलवाया जाये।"

कौशल ने बारां जिले के कृषकों से हो रहे दुर्व्यवहार की जानकारी देते हुए बताया है कि  वर्तमान  में कृषि उपज खरीद की आड़त का जो काम कर रहे हैं । वे मात्र  2 ट्रॉली गेंहू व 1 ट्रॉली सरसों / चना  ही खरीदते हैं ।  जबकि बारां जिले का बड़ा रकबा नहरी सिंचित होने से किसानों के पास अधिक उपज का उत्पादन  है , तथा सरकारी नीति किसानों का संपूर्ण  उत्पाद समर्थन मूल्य पर खरीद के प्रति वचनबद्ध है । जिसकी पालना बारां जिले में नही हो रही है । निवेदन है कि पूरे उत्पाद की खरीद के लिए सरकार को पाबंद किया जाये। खरीद की मात्रा बढ़ाएं जिससे काशतकार सुगमता से अपना माल बेच पाएं।

उन्होनें बताया है कि राजनीतिक सांठगांठ से जिले में सरकारी खरीद  केंद्रों पर मात्र संकेतात्मक होने से किसानों को अपना गेंहू बहुत सस्ते में मात्र 1600 - 1650 रुपये में बेचने को मजबूर है । जबकी सरकारी भाव 1925 रुपये प्रति कुंटल है । इस वजह से किसान को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, भारी क्षति हो रही है । जिसके लिए राज्य सरकार की किसानों के प्रति उपेक्षा जिम्मेवार है। यह किसानों का अपमान भी है और उनके आत्मसम्मान की उपेक्षा भी है।

कौशल ने मांगपत्र में लिखा है कि  कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत ने खरीब फसल सोयाबीन एवं अन्य फसलों के नष्ट होने पर 13,600 रुपये प्रति 2 बीघा/ प्रति एकड़ मुआवजा देने की बात कही थी और काश्तकारों का सर्वे भी हुआ था एवं उनसे बैंक खाता नम्बर भी ले लिए थे। पर भुगतान अभी तक नहीं आया है। न ही कोई स्पष्टीकरण राज्य सरकार ने दिया है ।

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