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अलवर के भूगर्भ में है करीब 11 लाख टन सोना


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पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा ने मुख्यमंत्री को दी धात्विक सम्पदा के लिए प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र को भेजने की सलाह


अलवर 13 जून । अलवर जिले के थानागाजी के मूंडियावास गांव के 25 वर्ग किमी क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना में तांबा, सोना, चांदी और आयरन के अकूत भंडार मौजूद हैं। करीब 11 मिलियन टन कॉपर का भंडार है। यहां केवल सोना ही करीब 11 लाख टन है, जो देश के सोने के भंडार का पांच गुना ज्यादा है।


भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के सर्वे के अनुसार अलवर बेसिन में 108.10 घन से ज्यादा तांबे के भंडार है। सरिस्का अभयारण्य से करीब 6 किलोमीटर दूर मूडि़यावास खेड़ा ब्लॉक में जीएसआई ने 2008-09 में सर्वे शुरू किया था। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री को प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने एवं अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए भूगर्भीय धात्विक संपदा के सदुपयोग संबंधी परियोजना पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अलवर जिले के थानागाजी सरिस्का क्षेत्र में विपुल मात्रा में धरती में खजाना मौजूद है।


अलवर के सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा के दौरान पूर्व मंत्री डॉ. शर्मा ने कहा कि उन्होंने इस आशय के सुझाव राज्य के मुख्यमंत्री को भेज कर आग्रह किया है कि वे धात्विक खनिज संपदा के वैज्ञानिक दोहन के संबंध में प्रोजेक्ट बनाकर उसे केंद्र सरकार को अनुमति के लिए भेजें। मौजूदा हालात में यह प्रोजेक्ट थानागाजी क्षेत्र ही नहीं, राजस्थान की अर्थव्यवस्था को संवारने और आत्मनिर्भर बनाने वाला साबित होगा।


उन्होंने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की वर्ष 2011-12 की उस रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें भू वैज्ञानिक डॉ. एसके वधावन ने बताया है कि थानागाजी के मूंडियावास गांव के 25 वर्ग किमी क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना में तांबा, सोना, चांदी, आयरन के भंडार मौजूद हैं। करीब 11 मिलियन टन कॉपर के भंडार हैं जिसमें 5 से 15 प्रतिशत सोना है।


पूर्व मंत्री शर्मा ने बताया कि जीएसआई की रिपोर्ट की मानें तो क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना में मिलने वाली धात्विक संपदा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर देगी। उन्होंने कहा कि यदि राजनेता इच्छाशक्ति दिखाएं तो भारत सदैव ही सोने की चिड़िया रहेगा क्योंकि हमारे पास धरती धन मौजूद है। सरकार को यहां कॉपर प्रोजेक्ट चालू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भारत सरकार से बात करें और यहां माइंस चालू कराएं और हम भी सभी सांसदों के माध्यम से प्रधानमंत्री तक इस प्रोजेक्ट की सिफारिश कराएंगे।


गौरतलब है कि पूर्व में अलवर जिले के खोह दरीबा में तांबे की खानों में दोहन होता था लेकिन 1992 में पर्यावरणीय कारणों से इन खानों में खनन पर पांबंदी लगा दी गई। तब से ही जिले में तांबे का खनन कार्य ठप पड़ा है।


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