Corona Effect- लॉकडाउन में अटका अस्थियों का विसर्जन
- anwar hassan

- May 14, 2020
- 2 min read

अजमेर. कोरोना वायरस से संक्रमण के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण मृत आत्माओं की शांति के लिए किया जाना वाला अस्थि विसर्जन का कार्य भी अटक गया है। लॉकडाउन के कारण ट्रेन व बसों की आवाजाही बंद होने से शोकाकुल परिजन कलश में रखी अस्थियों को जलाशयों में विसर्जित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में लोग अपने मृतक परिजन की अस्थियां श्मशान गृहों में ही स्थित लॉकर्स व अलमारियों में सुरक्षित रखवा रहे हैं ताकि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ट्रेन व बसों की आवाजाही सुचारू होने पर विसर्जन कर सकें।
साधारणत: लोग अपने मृतक परिजन के शवों की अंत्येष्टि के बाद शेष रहे अस्थि फूल को एकत्र कर हरिद्वार में गंगा नदी और पुष्कर सरोवर में विसर्जित कर मोक्ष की कामना करते हैं। लेकिन पिछले 50 दिन से जारी लॉकडाउन की अवधि में जिन लोगों के परिजन की मृत्यु हुई उनके समक्ष बड़ी विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि मृतक की अस्थियां दस दिन के भीतर जल में प्रवाहित की जानी चाहिए लेकिन कोरोना महामारी ने यह मान्यता बदल दी। लॉकडाउन के कारण बसों और ट्रेनों के चक्के थमे होने के कारण यात्रा पर रोक लगी होने से बहुत से लोगों ने अपने मृतक परिजन की अस्थियों को मुक्तिधाम में स्थित लॉकर्स और अलमारियों में सुरक्षित रखवा दिया है।
अस्थि कलशों का शतक करीब
जौंसगंज स्थित गढ़ी मालियान शमशान विकास समति के अध्यक्ष नेमीचंद बबेरवाल ने बताया कि गढ़ी मालियान शमशान गृह के लॉकर्स और अलमारियों में करीब 80-90 अस्थि कलश व्यवस्थित रूप से रखे गए हैं। सभी अस्थि कलशों पर मृतकों के नाम, पता व निधन की दिनांक अंकित पर्ची लगाई जाती है। लेकिन लॉकर्स और अलमारियां ठसाठस होने से अब परिजन भी शंकित हैं कि एक जगह रखे इतने सारे अस्थिकलश अगर आपस में मिक्स होने पर स्थिति विकट हो जाएगी। इस कारण कुछ लोग दाहसंस्कार तो करवा रहे हैं लेकिन अस्थि कलश लॉकर्स और अलमारियों में रखवाने की बजाय अपने घर पर भी ले जा रहे हैं। अध्यक्ष बबेरवाल व मीडिया प्रभारी प्रदीप कच्छावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रेलमंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार और पुष्कर तक ट्रेन चलाने की मांग की है।























































































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