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इस बार बकरों को नहीं मिल पा रही है उनकी कीमत!


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बकरीद का पर्व नजदीक है लेकिन बकरों की बिक्री रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। कारोबारियों को बकरों के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। कुछ लोग बकरे खरीद भी रहे हैं तो आधी कीमत भी मुश्किल से दे रहे हैं।कारोबारियों में मायूसी का माहौल इसलिए बना है क्योंकि इस बार न सिर्फ पिछले साल के सापेक्ष सिर्फ तीस प्रतिशत ही बकरों की बिक्री होने की उम्मीद है बल्कि मुनाफा भी नहीं हो सकेगा।इस बार कोरोना के प्रकोप के चलते बकरों के बाजार नहीं लग रहे हैं, सो माल न तो बाहर जा रहा है और न ही बाहर से आ रहा है।हालात यह है कि 15 हजार के बकरे की कीमत मुश्किल से आधी मिल रही है। चूंकि लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है सो बकरों के खरीदारों की कमी सामने आ रही है। कारोबार से जुड़े लोगों का पहला तर्क यही है कि बाजार नहीं लगने के कारण बकरों की अच्छी कीमत नहीं मिल रही है। वह पिछले साल की तुलना में इस बार तीस प्रतिशत बकरों की खरीद फरोख्त होने का अंदाजा लगा रहे हैं।एक विक्रेता का कहना है कि पिछले साल बकरीद के मौके पर करीब पांच सौ बकरे बेचे थे लेकिन इस बार अभी तक केवल दस बकरे ही बिक सके हैं। जो बकरा बीस हजार का बिकना चाहिए उसकी आधी कीमत भी नहीं मिल पा रही है। बकरे खरीदने वाले लोग ही मिल रहे हैं तो बिक्री कैसे होगी।

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