top of page

बांरा के मजदूरों के लिए भगवान बने पाली के लोग


ree

बारां के मजदूरों के लिए फरिश्ते बन गए बाली के ग्रामीण

पाली, । बारां जिले से गुजरात में कमाने गए 33 लोगों के लिए कोरोना महामारी किसी बड़ी आपदा से कम नहीं रही। लॉक डाउन के कारण गुजरात से अपने घर जाने के लिए श्रमिक पैदल ही निकल पड़े। सात दिन पहले मडगांव (गुजरात) से पैदल रवाना हुए यह लोग बुधवार को बाली के समीप श्रीसेला पहुंचे। यहां स्थानीय ग्रामीण व प्रशासन ने उनकी कुशलक्षेम जानी और खाने की व्यवस्था करने के बाद बारां जिले के शाहबाद गांव के लिए शुक्रवार को रवाना किया।

जिला कलेक्टर अंश दीप ने बताया कि गुजरात के मडगांव से सात दिन से पैदल लगभग चार सौ किमी से उपर का सफर कर ये लोग बाली उपखण्ड़ के श्रीसेला पहुंचे। आदिवासी सहरिया जाति के 33 नागरिकों को फालना डिपो की रोडवेज बस से बारां जिले के शाहबाद गांव के लिए शुक्रवार शाम रवाना किया गया। इनमें 11 पुरुष, 7 महिलाएं एवं 15 बच्चों के साथ दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल है। श्रमिकों के श्रीसेला पहुंचने पर गांव वालों को उनकी हालत देखी नहीं गई तो उन्हें पोस्ट ऑफिस के पुराने भवन में ठहराया और खाने की व्यवस्था कराई। इसकी जानकारी बाली के उपखण्ड अधिकारी श्रीनिधि बीटी को मिली तो वे हाथों-हाथ श्रीसेला पहुंचे और उनकी कुशलक्षेम जानी। उपखण्ड अधिकारी श्रीनिधि बीटी ने बताया कि गुजरात के मडगांव में ईट्ट भट्टे में कार्य करने वाले श्रमिक सांचौर व जालोर के रास्ते पैदल श्रीसेला पहुंचे थे। श्रमिकों को बिस्किट व पानी की बोतल के दो-दो कार्टून देकर रवाना किया गया। उपखण्ड अधिकारी ने गांव वालों की तरफ से एकत्र की गई चार हजार की राशि भी श्रमिकों को सुपुर्द की।


बस में सवार होते ही ये लोग भावुक हो गए। श्रमिक रवि सहरिया ने बताया कि गुजरात के मडगांव में मजदूरी करने के लिए गए थे। लॉक डाउन होने से रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया। ऐसे में गांव जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। साधन नहीं मिलने पर पैदल ही बारां जाने के लिए निकल गए। रास्ते में जो मिला वही खाया-पीया। कई बार भूखा भी रहना पड़ा। जशोदा ने कहा कि कामधंधा बंद होते ही भूखे मरने की नौबत आ गई थी। जो पैसे थे वो खत्म हो गए। ऐसे में पैदल ही निकल पड़े। लगातार पैदल चलने से पैरों में छाले भी पड़ गए।


Comments


  • WhatsApp-icon
  • Wix Facebook page
  • Wix Twitter page
  • Wix Google+ page
Copyright Information
© copyrights reserved to "dainik desh ki dharti"
bottom of page