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तनाव / लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा


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भारत और चीन के सैनिकों के बीच हाल के दिनों में दो बड़ी और हिंसक झड़पें हुईं। इनमें दोनों देशों के कुल 10 सैनिक घायल हुए।

  • पिछले दिनों लद्दाख की गालवन घाटी में चीन ने अपने हिस्से में कुछ टेंट लगाए

  • भारतीय सेना की हालात पर पैनी नजर, सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई

नई दिल्ली. लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है। दोनों ही सेनाओं ने इन दोनों इलाकों में सैन्य तैनाती बढ़ा दी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हाल के दिनों में यहां दो बार भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़पें हुई हैं। पिछले दिनों ही चीनी आर्मी के हेलिकॉप्टरों ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी। जवाब में भारत ने यहां सुखोई जैसे फाइटर जेट तैनात कर दिए। 


60 साल से तनाव का केंद्र  गालवन नदी या कहें घाटी क्षेत्र दोनों सेनाओं के बीच तनाव का केंद्र रहा है। 1962 में यहां शुरू हुई झड़प जंग में तब्दील हो गई थी। गालवन नदीं और पेन्गोंग लेक के करीब दोनों सेनाओं ने टुकड़ियां बढ़ा दी हैं। चीन ने गालवन घाटी के अपनी तरफ वाले हिस्से में कुछ टेंट लगाए हैं। भारतीय सेना उसकी हरकतों पर पैनी नजर बनाए हुए है। भारतीय सेना ने भी यहां गश्त बढ़ा दी है। 


5 मई को हुई थी झड़प 5 मई की सुबह भारत और चीन के सैनिकों के बीच पेन्गोंग लेक एरिया में हिंसक झड़प हुई। इस दौरान रॉड, डंडे और पत्थरों का इस्तेमाल दोनों तरफ से हुआ। इसके बाद 9 मई को सिक्किम के नाकु ला दर्रे में भी 150 भारतीय और चीनी सैनिक भिड़ गए। दोनों के करीब 10 सैनिक घायल हुए। 


दोनों सरकारें चुप खास बात ये है कि इन हालिया झड़पों के बावजूद आधिकारिक तौर पर दोनों देशों की सेनाओं या विदेश मंत्रालय ने कुछ नहीं कहा। पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक सवाल पर सिर्फ इतना कहा था कि भारत सीमा पर शांति बनाए रखना चाहता है। चीनी मीडिया ने तनाव के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि ये झड़पें होती आई हैं लेकिन, दूसरा डोकलाम नहीं होगा। 


चीन क्यों परेशान? भारत ने हाल ही में मानसरोवर यात्रा के लिए लिपुलेख और धारचूला के बीच 90 किलोमीटर लंबा शानदार रोड बनाया। इसको बनाते समय सैन्य जरूरतों को प्राथमिकता दी गई। नेपाल ने संभवत: चीन के इशारे पर ऐतराज भी जताया, लेकिन बाद में वो खामोश हो गया। आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने चीन का नाम लिए बगैर यही संकेत दिया था। फिलहाल, यह साफ नहीं है कि आर्मी चीफ नेपाल जाएंगे या नहीं। आमतौर पर भारतीय सेना प्रमुख चार्ज लेने के बाद नेपाल का दौरा करते आए हैं।

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