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अनलॉक-3.0 में सिनेमाघरों पर लगे ताले खुलने की उम्मीद जगी


जयपुर, 26 जुलाई । सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से अनलॉक-3.0 के लिए गृह मंत्रालय की ओर से बनाई जा रही एसओपी में सिनेमाघरों को शुरु करने का प्रस्ताव दिए जाने के बाद 1 अगस्त से राजस्थान में मल्टीप्लैक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के ताले खुलने की उम्मीद जग गई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ सिनेमाघर संचालकों की कई दौर की बातचीत होने के बाद अब पेंच दर्शक क्षमता पर फंसा हुआ है। मंत्रालय चाहता है कि सिनेमाघर 25 फीसदी दर्शक क्षमता के साथ शुरु किए जाए, जबकि सिनेमाघर संचालक अपने खर्च और फिल्म वितरण शेयर के मद्देनजर 50 फीसदी दर्शक क्षमता पर सिनेमाघर खोलने के पक्ष में है।


राजस्थान में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 2 मार्च को उजागर हुआ था। महामारी बढऩे के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने 14 मार्च से प्रदेश के सभी सिनेमाघर बंद करने के आदेश दिए थे। तब से लेकर अब तक सिनेमाघर पूरी तरह बंद पड़े हैं। राजस्थान में 250 मल्टीप्लैक्स और लगभग 160 सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर गुजरे साढ़े 4 माह से पूरी तरह बंद रहने की वजह से सिनेमाघर संचालकों समेत प्रदेश के फिल्म वितरकों को 150 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका हैं। सिनेमाघर संचालकों के समक्ष सिनेमाघर संचालन को लेकर बड़ी चुनौतियां भी है।


संचालकों का तर्क है कि कोरोना के दौर में कोई भी प्रोड्यूसर अपनी बड़े बजट की फिल्में रीलिज नहीं करना चाह रहे। ऐसे में सिनेमाघर शुरु करने के बाद उन्हें पुरानी फिल्में ही प्रदर्शित करनी होगी। ऐसे में पहले से ही दर्शक सिनेमाघरों का रूख कम करेंगे। ऐसे में संचालन का खर्च निकालना मुश्किल होगा। दूसरे, दर्शक आ भी गए तो मानवीयता के नाते सिनेमाघरों को सैनेटाइज करने के साथ कोरोना से दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बड़ी समस्या रहेगी।


फिल्म वितरण व्यवसाय से जुड़े जयपुर के महावीर ठोलिया कहते हैं कि-राजस्थान में कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन के बाद से लेकर अब तक सिनेमाघर संचालकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन की अवधि में बिजली का बिल, स्टॉफ की तनख्वाह, अन्य टेक्स की मार के कारण सिनेमाघर संचालकों की कमर टूट चुकी हैं। अब अगर मंत्रालय 25 फीसदी दर्शक क्षमता के साथ सिनेमाघर शुरु करने की मंजूरी देता है तो सिनेमाघर संचालकों पर अपने खर्चे ही भारी पड़ जाएंगे।


फिल्म वितरण राज बंसल कहते हैं कि-कोरोना महामारी के दौर में निर्माता अपनी फिल्मों को रीलिज करने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि, कम दर्शक क्षमता के कारण फिल्म प्रदर्शित होती है तो लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में पुरानी फिल्मों के प्रदर्शन से पहले से मंदी की मार झेल रहे सिनेमाघरों के लिए अपने खर्चे निकालना भी भारी पड़ जाएगा। बड़ी फिल्में दीपावली या फिर गांधी जयंती से पहले रीलिज नहीं होगी। ऐसे में सिनेमाघरों को 50 फीसदी दर्शक क्षमता पर संचालन की अनुमति दी जाती है तो फिर भी सिनेमाघर संचालक संचालन के लिए राजी हो सकेंगे।

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