कोरोना-नई राहें, कठिन चुनोतियाँ जहा चाह, वहां राह
- pradeep jain
- May 19, 2020
- 2 min read

जहा चाह, वहां राह
इच्छाशक्ति अगर मजबूत हो,तो कितनी ही विकट परिस्थितिया क्यो न आये -आप हमेशा मुस्कुराएंगे।
इस वैश्विक कोरोना महामारी ने सभी का जीवन जीने का तरीका बदल दिया है ,चाहे वो सामाजिक परिदृश्य हो या राजनैतिक या आर्थिक ,समाज के हर वर्ग की स्थिति पूर्णतया बदल चुकी है और साथ ही राष्ट्र के सुनहरे
भविष्य के प्रति ओर पर्यावरण के प्रति सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है भलेही हर व्यक्ति महामारी से सँघर्ष कर रहा है ,जूझ रहा है लेकिन बदलाव क्रांतिकारी रूप से हो रहा है ,एकता का संचार बढ़ रहा है ।
दूसरी तरफ प्रकृति का मानव के प्रति महत्त्वपूर्ण चुनोती- जीना है तो बदलाव अति आवश्यक है ,क्योकि ये समस्या अल्प कालीन न होकर लंबे समय तक भी चल सकती है इसीलिए सम्पूर्ण मानव जगत ,प्रकृति,पर्यावरण का पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रखने के लिए हमे सम्पूर्ण मानव जगत में बदलाव की जागरूकता का संचार तेजी से करना ही होगा।
Work from home- ज्यादातर कार्य जितना हो सके "घर से" से ही करे,अतिआवश्यक स्थिति होने पर ही घर से बाहर जाए, बाहर जाते समय सामाजिक भीड़भाड़ से परहेज रखनी आवश्यक है ,साथ ही मास्क लगाने की आदत को लंबे समय तक बनाये रखना ही उचित है । क्योकि इस व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मेदारी न सिर्फ सरकार ओर राजकीय कर्मचारियों की ,बल्कि ये जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक का राष्ट्र ,समाज ,परिवार के प्रति महत्त्वपूर्ण दायित्त्व भी है।
पर्यावरण ओर प्रकृति के प्रति आत्मिक जुड़ाव आवश्यक हो गया है ,ओर ये सभी नागरिको की मौलिक जिमेदारी भी है क्योकि ऐसा करते हुए अपने जीवन को उत्कृष्ट ही नही अपितु पर्यावरण और प्रकृति के परिदृश्य में समस्त समस्याओं का क्रांतिकारी ओर सटीक हल ,निराकरण होगा।इसीलिए प्रकृति से जुड़े समस्त प्राणियों के प्रति आत्मिक जुड़ाव जरूरी है इसीलिए आस पास निर्धन परिवारों की मदद करे,पशु ,पक्षियों के प्रति भी दाना पानी की व्यवस्था करते रहे है।
भारत कुमार शर्मा
लेखक,शिक्षाविद,पर्यावरण चिंतक ,विचारक
(जयपुर)
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