वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है कोरोना वायरस, क्या मुक्ति मिल पाएगी ?
- Rajesh Jain
- Jul 9, 2020
- 3 min read

पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है और करीब एक करोड़ से ज्यादा लोग अब तक इस महामारी का शिकार बन चुके हैं. वहीं पांच लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी की वजह से काल के गाल में समा चुके हैं लेकिन अब तक इसके वैक्सीन या दवा की खोज में प्रमाणिक सफलता नहीं मिली है.
इस वायरस को आए हुए 6 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अब भी कोरोना को लेकर कुछ ऐसे रहस्य हैं जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. साइंस जर्नल नेचर ने दुनिया के वैज्ञानिकों के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें इस महामारी को लेकर 5 ऐसे रहस्यों का जिक्र किया गया है जिससे अब तक पर्दा नहीं उठा है. माना जा रहा है कि जब तक इन पांच सवालों का जवाब नहीं मिलता तब तक इस वायरस का प्रभावी उपाय नहीं किया जा सकता.

आखिर कहां से आया यह वायरस
इस जानलेवा वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई है यह अब तक सबसे बड़ा रहस्य है. 6 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी वैज्ञानिक अभी तक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं कि आखिर यह वायरस कब, कहां और कैसे पैदा हुआ. शुरुआती रिपोर्टों में यह दावा किया जाता रहा है कि यह चमगादड़ से इंसानों में फैला है. इसके पीछे आरएटीजी 13 को जिम्मेदार बताया जा रहा है जो चमगादड़ों में पाया जाता है. हालांकि कुछ वैज्ञानिक इस दावे को सही नहीं मानते हैं और उनका दावा है कि अगर ऐसा होता तो इंसान और चमगादड़ों के जीनोम में चार फीसदी का अंतर नहीं होता जो इस वायरस के लिए जिम्मेदार है.

मानव शरीर में वायरस के खिलाफ प्रतक्रिया अलग-अलग क्यों?
जितने भी लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हुए हैं उनमें देखा गया है कि समान, उम्र और समान क्षमता के बाद भी हर व्यक्ति पर इस वायरस का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है. यह अब तक अबूझ पहेली ही है कि आखिरकार ऐसा क्यों होता है. वैज्ञानिक अब तक नहीं समझ पाए हैं कि वायरस के खिलाफ अलग-अलग शरीर की प्रतिक्रिया एक दूसरे से भिन्न क्यों है. कोरोना संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित इटली और स्पेन में 4000 संक्रमित लोगों पर शोध के बाद वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि इनमें एक या दो अतिरिक्त जीन हो सकते हैं.

वायरस के खिलाफ कब तक शरीर में रहेगी प्रतिरोधक क्षमता
वैज्ञानिक अब तक यह नहीं समझ पाए हैं कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता कब तक बनी रहेगी. वायरस जनित दूसरी बीमारियों में यह क्षमता कुछ महीनों तक शरीर में बनी रहती है. इसलिए शोध के जरिए वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज में उत्पन्न एंटीबॉडीज कितने समय तक इस बीमारी से शरीर को प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है.

वायरस कहीं कम- कहीं ज्यादा घातक क्यों
दुनिया के कई देशों में इस वायरस ने अपना बेहद खतरनाक रूप दिखाया है और लाखों लोगों की जान ले ली है. वहीं कुछ देशों में इसका प्रभाव कम है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इस वायरस के कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश में जुटे हुए हैं. क्षेत्र के हिसाब से वायरस में बदलावों का भी वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं.

कब तक बन पाएगा टीका
कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर दावे तो बहुत किए गए हैं लेकिन अब तक यह किसी को पता नहीं आखिरकार कब तक इसका टीका लोगों को मिल पाएगा. कोरोना के वैक्सीन को विकसित करने के लिए पूरी दुनिया में करीब 200 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इनमें से 20 प्रोजेक्ट मानव परीक्षण स्तर तक पहुंच पाए हैं. जितने भी टीकों के परीक्षण की रिपोर्ट आई है उसमें ज्यादातर यही संकेत दे रहे हैं कि यह फेफड़ों को संक्रमण से बचाने में कारगर है लेकिन संक्रमण को पूरी तरह यह टीका नहीं रोक सकता.























































































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