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डिस्चार्ज के बाद दोबारा कोरोना पॉजिटिव आ जाएं तो संक्रमित घबराएं नहीं, डब्ल्यूएचओ ने बताया ये कारण


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जोधपुर. दुनिया के सभी देशों में कोरोना वायरस अपने अलग-अलग रूप दिखा रहा है। इसमें ऐसा ही एक रूप है कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद दोबारा पॉजिटिव होना। चीन के वुहान शहर से लेकर भारत तक में यह ट्रेंड देखा जा रहा है, जो कोरोना मरीज ठीक हो चुके हैं, वे दोबारा पॉजिटिव आ रहे हैं। ऐसे में रोगी के लिए कोई भय की बात नहीं है, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको लेकर अपनी बात भी स्पष्ट की है।

डब्ल्यूएचओ से बताया गया है कि जरूरी नहीं कि जो मरीज ठीक हो चुके हैं उनकी हर बार रिपोर्ट नेगेटिव ही आए। फेफड़े की मृत कोशिकाओं के कारण दोबारा पॉजिटिव रिपोर्ट की संभावना बनी रहती है। इसका कतई मतलब यह नहीं है कि मरीज री-इंफेक्टेट है। यह मरीज का रिकवरी फेज का ही हिस्सा है। जो मरीज एक बार ठीक हो चुका है, उसकी रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आए। पर मरीजों का दोबारा पॉजिटिव टेस्ट आने के पीछे फेफ ड़ों की मरी हुई कोशिकाएं जिम्मेदार हो सकती हैं। इससे मरीजों को डरने की जरूरत नहीं है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अभी तक के आंकड़ों और विश्लेषणों के आधार पर कह सकते हैं कि रिपोर्ट पॉजिटिव आना स्वाभाविक है। ठीक होने के बाद मरीजों के फेफ ड़ों से मृत कोशिकाएं बाहर आ सकती हैं। इन मृत कोशिकाओं के आधार पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। पर यह मरीजों का रिकवरी फेज है जिसमें मनुष्य का शरीर खुद ही उसकी सफ ाई करता है। बता दें कि जोधपुर में ये सवाल शास्त्रीनगर सी सेक्टर निवासी वृद्ध के सवा माह अस्पताल रहने और फिर डिस्चार्ज के 11 दिन बाद पुन: पॉजिटिव आने के मामले पर उठा है।

डरने की कोई बात नहीं : डॉ. किशोरिया डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में सीनियर प्रोफेसर डॉ. नवीन किशोरिया ने कहा कि सभी देशों में काफ ी संख्या में मरीजों की रिपोर्ट ठीक होने के बाद दोबारा पॉजिटिव आई है। यह चिंता की बात नहीं है। यह कोरोना का दूसरा फेज बिलकुल नहीं है। दक्षिण कोरिया ने अपने यहां के सौ मरीजों की रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया था कि ठीक होने के बाद वे दोबारा पॉजिटिव निकले हैं। इसके बाद कई अन्य देशों में ऐसी बातें सामने आईं। ठीक होने के बाद कोरोना मरीजों के फेफ ड़े अपने आप को रिकवर करते हैं। ऐसे में वहां मौजूद डेड सेल्स बाहर की तरफ आने लगते हैं। वास्तव में ये फेफड़े के ही छोटे-छोटे अंश होते हंै। जो नाक या मुंह के रास्ते बाहर निकलते हैं। ये डेड सेल्स संक्रामक वायरस है। इंसान का शरीर खुद को रिकवर करता है।

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