कोरोना और फ्लू में अंतर / पर इन्हें कुछ सावधानियों से पहचान सकते हैं
- Rajesh Jain
- Jun 10, 2020
- 5 min read


कोरोना के लक्षण ज्यादातर गले ओर सीने के दर्द से जबकि फ्लू के लक्षण नाक से जुड़े होते हैं
फ्लू से हर साल 2.90 से 6.50 लाख लोगों की जान जाती है, जबकि कोरोना से अब तक 4 लाख मौतें हुई हैं
कोविड-19 का दौर ही चल ही रहा है कि सीजनल फ्लू का भी मौसम आ गया। दोनों बीमारियां अलग हैं, लेकिन कई लक्षण एक जैसे ही हैं। इससे लोग समझने में भी गलती कर रहे हैं कि उन्हें हुआ क्या है? कोरोना या फिर फ्लू? एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि कन्फ्यूजन होना लाजिमी है, क्योंकि दोनों के बीच बहुत मामूली अंतर है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉ. उमा कुमार कहती हैं कि कोरोना और सीजनल फ्लू के लक्षण को समझाने से पहले लोगों को एक डिस्क्लेमर देना जरूरी है। ताकि वे इन्हें पहचानने में गलती न करें। डॉ. उमा बताती हैं कि कोविड-19 और सीजनल फ्लू के के सिम्पट्म्स एक-दूसरे को ओवरलैप करते हैं। इसलिए दोनों में अंतर करना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। अभी कोरोना महामारी चल रही है, इसलिए इस बात का डायग्नोसिस में ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।
कैसे पहचानें?
अगर बाहरी एक्सपोजर नहीं है तो कोरोना नहीं फ्लू ही होगा भोपाल में ईएनटी स्पेशललिस्ट डॉ. संजय जैन बताते हैं कि कोरोनावायरस के सिम्पट्म्स और सीजनल फ्लू में बहुत मामूली अंतर होता है। एक आम आदमी के लिए इसमें अंतर करना बेहद समझदारी वाला काम होगा। कोरोना के लक्षण ज्यादातर गले ओर सीने से जुड़े होते हैं। इसमें डायरिया भी हो सकता है। फ्लू में ज्यादातर सिम्पट्म्स नाक से जुड़े होते हैं। फ्लू में गले में दर्द होना जरूरी नहीं। बलगम आ सकता है। अगर आपका कोई बाहरी एक्सपोजर नहीं है तो फ्लू ही होगा।


क्या सावधानी रखें ?
ठंडी चीज न खाएं ताकि गला खराब न हो दोनों ही बीमारियों की एक जैसी स्थिति है। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। डॉ. उमा के मुताबिक कोविड-19 की तरह ही और भी छोटे कोरोनावायरस वातावरण में हैं, जिनसे छोटा-मोटा कफ-कोल्ड होता रहता है और वह ठीक भी हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि ठंडी चीज न खाएं, ताकि गला खराब न हो। यदि गला खराब होता है, तो किसी भी इन्फेक्शन के अंदर जाने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए गर्म पानी पीते रहें, इससे आराम मिलता रहेगा।


कोशिश करें कि सांसों के ड्रॉप्लेट्स वातावरण में न जाएं आपकी एक छोटी सी लापरवाही आपके परिवार या आसपास मौजूद लोगों को बीमार कर सकती है। इसलिए इससे बचें। डॉ. उमा कहती हैं कि छींक या खांसी आए तो मुंह पर कपड़ा जरूर रखें, यदि कपड़ा न हो तो कोहनी का इस्तेमाल कर लें, ताकि ड्रॉप्लेट्स वातावरण में न जाएं। क्योंकि इनकी स्पीड बहुत ज्यादा होती है। फ्लू में भी मास्क पहनना जरूरी होता है। कोरोनावायरस के आने से पहले भी फ्लू के मौसम में डॉक्टर्स भी मास्क पहना करते थे।
किसका कितना असर?
कोरोना की इन्फेक्टिविटी बहुत ज्यादा होती है डॉ. उमा कहती हैं कि कोरोनावायरस की इन्फेक्टिविटी बहुत ज्यादा होती है यानी एक इंसान से दूसरे इंसान में इस वायरस के पहुंचने की क्षमता बहुत अधिक है। फ्लू की इनेफ्टिविटी कोरोना के मुकाबले काफी कम होती है।


क्या हर किसी को कोरोना टेस्ट कराना जरूरी?
रेड जोन में नहीं रहते हैं तो टेस्ट की जरूरत नहीं डॉ. संजय कहते हैं कि हर फ्लू के मरीज को कोरोना का टेस्ट कराना बिल्कुल जरूरी नहीं है। टेस्ट तब कराना चाहिए, जब आपका बाहरी एक्सपोजर बहुत ज्यादा हो। आप कहां आते-जाते हैं, किस एरिया में रहते हैं, क्या रेड जोन में रहते हैं? इन सब बातों का एक मरीज को खुद एनालिसिस करके ही कोरोना टेस्ट करवाना चाहिए। उसे खुद ही पता चल जाएगा, क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
फ्लू को हल्के में क्यों न लें ?
अमेरिका में फ्लू से हर साल 24 से 62 हजार लोगों की मौत होती है फ्लू को भी हल्के में लेने की गलती न करें। क्योंकि आंकड़े हमें अलर्ट करते हैं। अमेरिका में हर साल फ्लू से हजारों लोगों की मौत होती है। अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सीडीसी के मुताबिक यूएस में हर साल 3.9 करोड़ से 5.6 करोड़ लोग फ्लू से बीमार होते हैं। इनमें से 24 हजार से 62 हजार लोगों की जान जाती है। यह आंकड़े सिर्फ वहां अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों के हैं।
आंकड़े क्या कहते हैं?
कोविड-19, फ्लू की तुलना में ज्यादा आसानी और तेज गति से फैलता है 1- दोनों बीमारियों के आंकड़े चौंकाते हैं। सीडीसी के मुताबिक कोविड-19 और फ्लू दोनों रेस्पिरेटरी (सांस या श्वसन तंत्र से जुड़ी) बीमारियां हैं। लेकिन कोविड-19 फ्लू नहीं है। रिसर्च के मुताबिक कोविड-19 फ्लू की तुलना में ज्यादा आसानी और तेज गति से फैलता है। 2- कोरोना की मृत्युदर भी फ्लू से ज्यादा है। अमेरिका में फ्लू से मृत्युदर 0.1% है, जबकि कोविड-19 की मृत्युदर 6% है। वैज्ञानिक अभी यह खोजने में लगे हैं कि कैसे कोविड-19 और फ्लू के सिम्पट्म्स में बेहतर अंतर बताया जा सके। 3- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में फ्लू से हर साल 2.90 लाख से 6.50 लाख लोगों की जान जाती है जबकि कोरोनावायरस से अब तक दुनिया में 4 लाख लोगों की जान जा चुकी है।

डर को कैसे दूर करें?
सावधानी रखें, घर से बाहर कम निकलें, हाथ धोते रहें डॉ. उमा के मुताबिक दोनों ही स्थितियों में डरने की जरूरत नहीं है। हमें बस बेसिक बातों का ख्याल रखना होगा, जैसे घर से बहुत जरूरी हो तो ही बाहर निकलें, हाथ नियमित अंतराल पर धोते रहें। कोरोनावायरस से भी 95-96 फीसदी लोग ठीक होते जा रहे हैं। 80 फीसदी लोगों को हॉस्पिटल में भी एडमिट करने की जरूरत नहीं पड़ती है। सिर्फ 15 फीसदी लोगों को ही ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। बाकी लोग खुद को घर में ही आइसोलेट करके ठीक हो सकते हैं, बशर्ते वे दूसरे से दूर रहे हैं।

कोरोनावायरस वाली सारी सावधानी फ्लू के मरीज को भी रखना जरूरी
बडोदरा स्थित गुजरात रिफाइनरी हॉस्पिटल में सीएमओ डॉ. हिमांशु पांडेय कहते हैं कि कोरोना और फ्लू में अंतर करना बहुत मुश्किल काम है। वैसे तो यह बिना टेस्ट का पता नहीं चल सकता है। लेकिन यदि लगातार बुखार आ रहा है, गले में ज्यादा तकलीफ है, खांसी आ रही है, सीने में दर्द है तो कोरोना के सिम्पट्म्स हो सकते हैं।
यदि बुखार या बलगम आ रहे हैं तो फ्लू संभव है। फ्लू में सीने या गले में दर्द नहीं होता है। कोरोनावायरस वाली ही सारी सावधानियां एक फ्लू मरीज को भी रखना जरूरी है। सोशल डिस्टेंसिंग करना और मास्क पहनना बहुत जरूरी है। यदि आप के पास कोई बिना मास्क पहनकर बात कर रहा है तो उसे बात न कर दें।
युवा कोरोना का बिल्कुल हल्के में न लें
डॉ. उमा कहती हैं कि कुछ स्टडी में यह देखने को मिला है कि बहुत से लोगों को पता ही नहीं था कि उनमें कोरोना के सिम्पट्म्स हैं और वे दूसरों में वायरस फैला रहे थे। ऐसा कोई भी व्यक्ति एक से दो हफ्ते तक वायरस को स्प्रेड करते रहता है और उसे मालूम भी नहीं चलता है। इसलिए हल्के सिम्पट्म्स होने पर भी खुद को आइसोलेट करें।
कोरोना को हल्के में बिल्कुल न लें। खासकर युवा, जिन्हें लगता है कि उन्हें यह वायरस नहीं होगा। यदि मान भी लो कि वे बच जाएंगे, लेकिन उनके घर में बुजुर्ग हो सकते हैं, डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के मरीज हो सकते हैं, ऐसे में उन्हें ध्यान रखने की जरूरत है।
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