कोरोना मरीजों के अलावा फ्रंटलाइन वर्कर्स भी हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ले सकेंगे:आईसीएमआर
- Rajesh Jain
- May 24, 2020
- 2 min read

नेशनल टास्क फोर्स के विशेषज्ञों ने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अध्ययन में पाया कि इससे संक्रमण के दर में कमी आती है।
मलेरिया की दवा है हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, अभी तक केवल कोरोना मरीजों को दी जाती थी
आईसीएमआर ने कहा- संक्रमण से बचने के लिए कोरोना वॉरियर्स कर ले सकते हैं इसके डोज
नई दिल्ली. कोरोनावायरस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली मलेरिया की दवा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन अब उन हेल्थ वर्कर्स को भी दी जाएगी, जिनमें इसके लक्षण नहीं आए। इस संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने संशोधित एडवायजरी जारी की है। इसके अलावा कंटनेमेंट जोन में ड्य़ूटी दे रहे पुलिसकर्मियों और दूसरे फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी इस दवा का डोज दिया जा सकेगा।
नेशनल टास्क फोर्स ने दवा पर स्टडी की
काउंसिल ने यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर दवा के असर को लेकर स्टडी करने वाली नेशनल टास्क फोर्स की रिपोर्ट के बाद किया। हालांकि, काउंसिल ने यह भी साफ किया है कि ये दवा केवल ऐहतियात के तौर पर लेनी चाहिए। इसे लेने का मतलब ये नहीं है कि किसी को कोरोना नहीं हो सकता है।
संक्रमण की दर में कमी पाई गई
नेशनल टास्क फोर्स के विशेषज्ञों ने कोरोना प्रभावित और गैर प्रभावित इलाकों में काम करने वाले सभी स्वास्थ्यकर्मियों पर इसका अध्ययन किया। विशेषज्ञों ने पाया कि इससे संक्रमण की दर कम होती है। इसमें कहा गया है कि यह दवा उन लोगों को नहीं दी जानी चाहिए, जो रेटिना संबंधी बीमारी से ग्रसित हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि इस दवा को 15 साल से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं को भी न दिया जाए। दवा औपचारिक सहमति के बाद डॉक्टर की निगरानी में ही दी जाए।
कई देशों को भेजी गई दवा कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया प्रभावित है। दुनिया के बड़े-बड़े देश इसकी वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं। कई विशेषज्ञों ने शुरूआत में ही पाया कि हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज में काफी प्रभावी है। इसके बाद अमेरिका, इजरायल, ब्राजील समेत कई देशों को भारत ने ये दवा सप्लाई की। भारत इस दवा का बड़ा सप्लायर है।























































































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