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कमजोर हुआ कोरोना वायरस, आसानी से तैयार होगी असरदार वैक्सीन: रिसर्च


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नई दिल्ली 14 जून । चीन के वुहान से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस ने कई देशों में तबाही मचा रखी है। देश और दुनिया के लोग जल्द इस महामारी संकट से निजात पाना चाहते हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच इसकी वैक्सीन बनाने को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। पिछले कई शोध अध्ययन में कोरोना वायरस को 'बहरूपिया' कहा जा चुका है, क्योंकि अबतक इसने तेजी से अपना रूप बदला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अबतक कोरोना के 24 रूप यानी स्ट्रेन सामने आ चुके हैं। इसके म्यूटेशन यानी रूप बदलने के कारण भी यह वैक्सीन बनाने की राह में यह बड़ी चुनौती बन रहा था। लेकिन अब इसके म्यूटेशन की दर धीमी हो गई है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अब पहले की अपेक्षा आसानी से और बेहतर वैक्सीन तैयार की जा सकती है।

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म्यूटेशन दर हुई धीमी

अमेरिका के शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक कोरोना वायरस के रूप बदलने की दर (म्यूटेशन रेट) धीमी हो गई है। रूप बदलता कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों के लिए उससे निपटने में चुनौती की तरह था, लेकिन अब म्यूटेशन दर धीमी होने से यह एक तरह से कमजोर हुआ है। इसलिए अब बेहतर वैक्सीन तैयार की जा सकती है।

20 हजार से अधिक नमूनों का अध्ययन

जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर से 20 हजार से अधिक कोरोना सैंपलों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पाया कि कोरोना वायरस के सबसे बड़े हथियार समझे जाने वाले स्पाइक प्रोटीन में अब बदलाव नहीं हो रहा है। मालूम हो कि अबतक कोरोना के 24 स्ट्रेन सामने आ चुके हैं।

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वैक्सीन बनाने के लिए मुफीद समय

दुनिया के कई विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस समय वैक्सीन तैयार कर ली जाए तो इसकी एक डोज कई सालों तक इंसानों को संक्रमण से बचाएगी। जॉन हॉपकिंस अप्लायड फिजिक्स लैब के मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट डॉ. पीटर थीलेन का कहना है कि पिछले साल के अंत से लेकर अब कोरोना वायरस में जेनेटिक बदलाव हुए हैं।

आरएनए को समझना आसान

डॉ. पीटर थीलेन का कहना है कि कोरोना वायरस अब लगभग स्टेबल यानी स्थिर है और यह समय वैक्सीन तैयार करने के लिए यह बेहतरीन समय है। इस समय कोरोना वायरस के आरएनए को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

असरदार होगी वैक्सीन

डॉ. पीटर का कहना है कि अमेरिका में कोरोना वायरस के जिस स्ट्रेन की पहचान की गई थी, वह चीन के वुहान में संक्रमण फैलाने वाले वायरस से मिलता था। इस समय जो वैक्सीन तैयार होगी, वह शुरुआत में फैले कोरोना वायरस के साथ म्यूटेशन के बाद वाले कोरोना वायरस पर भी असरदार साबित होगी।

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बिना वैक्सीन उपाय नहीं

कोरोना संकट के बीच लोगों का आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय तक स्थिति सामान्य नहीं हो पाएगी। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ डॉ. विंसटन टिंप का कहना है कि बिना वैक्सीन के सामान्य जीवन में लौटना संभव नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि वायरस के म्यूटेशन की गति धीमी होने का मतलब है कि इस समय तैयार वैक्सीन के सफल होने की संभावना ज्यादा है।

स्पाइक प्रोटीन सबसे अहम

डॉ. विंसटन का कहना है कि शोध में सबसे ज्यादा फोकस कोरोना के स्पाइक प्रोटीन पर किया जा रहा है। यही स्पाइक प्रोटीन सबसे अहम है, जो इंसानी कोशिकाओं में संक्रमण की वजह बनता है। अगर वैक्सीन इसे ब्लॉक करने में कामयाब हो जाती है, तो वह बहुत असरदार साबित होगी।

देश में वैक्सीन को लेकर अच्छी प्रगति

भारत में कोरोना वैक्सीन की प्रगति की बात करें तो प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन के मुताबिक, वैक्सीन कंपनियां शोध और विकास कार्य में भी लगी हैं। देश में 30 ग्रुप ऐसे हैं, जो वैक्सीन बनाने के लिए आगे आए हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक, 14 तरह की वैक्सीन पर काम हो रहा है, जिनमें से चार के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। वहीं, कोरोना की वैक्सीन के लिए एक और भारतीय कंपनी Panacea Biotech ने अमेरिका की अर्ली स्टेज लाइफ साइंसेज कंपनी Refana के साथ साझेदारी की है। भारत बायोटेक और सीरम इंडिया से बड़ी उम्मीद है।

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