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टॉयलेट सीट बंद रखने से कोरोना खतरा कम, मल में जिंदा रहता है वायरस


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कोरोना वायरस संक्रामक बीमारी है और इस महामारी से पीड़ित किसी भी मरीज के संपर्क में आने से आप भी इसके शिकार बन सकते हैं. ऐसे में दफ्तर, शॉपिंग सेंटर या फिर कहीं भी अगर आप सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं तो आप भी कोरोना के शिकार हो सकते हैं. लेकिन एक रिसर्च में सामने आया है कि अगर इस्तेमाल करने के बाद फ्लश चलाने से पहले टॉयलेट सीट के ढक्कन को बंद कर दिया जाए तो संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के मल से वायरस फैलने की संभावना पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया है. अध्ययन से पता चला है कि मरीज के ठीक हो जाने के बाद भी उसके मल में कोरोना का वायरस पांच हफ्तों तक जिंदा रह सकता है. ऐसे में वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे है कि अगर शौचालय का इस्तेमाल करने के बाद टॉयलेट सीट के ढक्कन को बंद कर फ्लश का इस्तेमाल किया जाए तो संक्रमण के खतरे को बहुत हद तक कम किया जा सकता है.

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रिसर्च में सामने आया है कि फ्लश करने पर पानी के बहाव के कारण संक्रमित कण पानी से तीन फीट (करीब 1 मीटर) तक ऊपर उठ जाते हैं. ऐसे में मल में मौजूद संक्रमित कणों के साठ प्रतिशत कण हवा में पहुंच सकते हैं इसलिए अगर ढक्कन बंद हो तो वायरस को बाथरूम में फैलने से रोका जा सकता है.

फिजिक्स ऑफ फ्लड जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक टॉयलेट सीट से निकलकर बाथरूम के वातावरण में संक्रमित कण एक मिनट से ज्यादा समय तक हवा में रहते हैं. इन कणों के संपर्क में आते ही कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है.

रिसर्च के अनुसार सार्वजनिक शौचालयों में इस तरह से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है क्योंकि वहां एक ही शौचालय को कई लोग इस्तेमाल कर रहे होते हैं. वहां वायरस फैलने की गति भी तेज हो सकती है इसलिए वहां टॉयलेट सीट को बंद रखा जाना जरूरी है.

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