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अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए बड़े राहत पैकेज की जरूरत , बनर्जी


नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को अर्थव्यवस्था के हालात पर बातचीत की। कोरोनवाायरस (Coronavirus) संकट के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपायों पर चर्चा करते हुए अभिजीत बनर्जी ने कहा, इस संकट से निकलने का एक ही उपाय है कि सरकार लोगों के हाथों में खर्च करने लायक पैसा दे।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बनर्जी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत सरकार को भी अमेरिका सहित कुछ दूसरे देशों की तरह बड़ा राहत पैकेज देना होगा। ताकि लोगों के पास पैसा आए और बाजार में डिमांड बढ़ सके।

गांधी ने पूछा कि क्या "न्याय" की योजना की तर्ज पर लोगों को पैसे दिए जा सकते हैं तो उन्होंने कहा, "निश्चित तौर पर।" साथ ही उन्होंने यह कहा कि अगर हम निचले तबके की 60 फीसदी आबादी के हाथों में कुछ पैसे देते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। यह एक तरह का राहत पैकेज ही होगा।

क्या है न्याय?

दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने "न्याय" का वादा किया था। इसके तहत देश के करीब पांच करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देने का वादा किया गया था।

बातचीत में बनर्जी ने यह भी कहा कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं उन्हें कम से कम तीन महीने के लिए अस्थायी राशन कार्ड जारी किए जाएं ताकि उन्हें अनाज मिल सके। गांधी के एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि जरूरतमंद तक पैसे पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जा सकती है।

पिछले दिनों राहुल गांधी ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के साथ भी इसी तरह की बातचीत की थी। तब राजन ने कहा था कि कोरोनावायरस संक्रमण रोकने के लिए जारी लॉकडाउन को सावधानीपूर्वक खत्म करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार लॉकडाउन बढ़ा रही है तो यह उसकी नाकामी है कि वह हालात पर काबू नहीं पा सकी है। राजन ने यह भी कहा था कि गरीबों की मदद के लिए सीधे उनके खाते में पैसे भेजे जाएं और इस पर करीब 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

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