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चंबल नदी में आए नन्हे मेहमान, अब बढेगा घडियालों का कुनबा


धौलपुर 20 जून । कभी दुर्दांत दस्युओं की बंदूकों से गरजने वाली चंबल घाटी में इन दिनों फिजा पूरी तरह से बदली हुई है। कभी कुख्यात दस्युओं की फायरिंग से दहलने वाला यह इलाका अब नन्हे घडियालों से आबाद है। मध्यप्रदेश से सटे राजस्थान के धौलपुर जिले के चंबल क्षेत्र में इन दिनों नन्हे मेहमानों की चहलकदमी दिखाई पड रही है। चंबल नदी में नन्हे घडियालों की यह आमद नेचुरल हेचिंग के बाद हुई है। धौलपुर में इन नन्हे घडियालों की चंबल में चहलकदमी से अब चंबल नदी में घडियालों के कुनबे में बढोतरी होगी।

धौलपुर जिले में धौलपुर तथा राजाखेडा उपखंड क्षेत्र में दगरा, वरसला, समौना, अंडवा, पुरैनी, शंकरपुरा, तिघरा, घेड और भमरौली सहित चंबल नदी के अन्य घाटों पर घडियाल अंडे देते हैं। इससे पूर्व अप्रेल से जून तक घडियालों का प्रजनन काल होता है। इस दौरान मादा घडियाल चंबल के घाटों में नर्म और मुलायम रेत में नमी की मौजूदगी में करीब तीन से छह दर्जन तक की संख्या में अंडे देती है। इसके करीब एक महीने के बाद में इन अंडों से बच्चे निकलते हैं तथा मादा घडियाल उन्हें चंबल में पानी तक ले जाती है।

मानद वन्यजीव प्रतिपालक और पर्यावरणविद राजीव तोमर ने बताया कि इस साल लॉकडाउन के कारण चंबल के घाटों में बीते सालों की तुलना में अपेक्षाकृत शांति रही है। जिसके चलते अच्छी तादाद में नन्हे घडियाल नेचुरल हंचिंग के बाद में अंडों से बाहर आए हैं। इन नन्हे घडियालों से चंबल की घाटी अब आबाद हो रही है। अन्य पर्यावरणविदों का भी मानना है कि नन्हे घडियालों की मौजूदगी से आने वाले दिनों में चंबल नदी में घडियालों का कुनबा बढेगा, जो चंबल क्षेत्र के पर्यटन और पारिस्थितिकी के लिहाज से खासा मुफीद साबित होगा।

बताते चलें कि चंबल नदी में पाए जाने यह घडियाल दुर्लभ डायनासोर प्रजाति के हैं,जो देश और दुनियां में लुप्त प्राय: स्थिति में हैं। इन घडियालों के संरक्षण के लिए वर्ष 1978 में राष्ट्रीय चंबल घडियाल अभ्यारण्य की स्थापना की गई थी। राष्ट्र्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य में तीन राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश शामिल हैं। चंबल नदी के रूप में यह अभयारण्य करीब 5400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसके कोर क्षेत्र में लगभग 400 किमी लंबी चंबल नदी आती है।

चंबल क्षेत्र में घडियाल संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के देवरी में घडियाल संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र हैं। चंबल क्षेत्र में अवैध खनन के चलते घडियालों के अंडों के नष्ट होने का भय रहता है। इस कारण से चंबल के घाटों से कुछ अंडों को एकत्रित करके देवरी के घडियाल संरक्षण केन्द्रों में लाया जाता है। यहां पर इनकी कृत्रिम तरीके से हेचिंग कराई जाती है, जिसके बाद में नन्हे घडियाल इस दुनिया में आते है। इसके बाद में इन नन्हे घडियालों को चंबल नदी में छोड दिया जाता है।

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