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आरोपित को न्यायिक अभिरक्षा या पुलिस रिमांड पर भेजने से पहले करें कोरोना टेस्ट-हाईकोर्ट


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जयपुर, 17 मई (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होने को गंभीरता से लेते हुए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि आरोपित का पहले कोरोना टेस्ट कराया जाए और उसके नेगेटिव आने पर ही पुलिस रिमांड या न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जाए। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश रविवार को सीजे निवास पर लगी विशेष खंडपीठ में सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी वीसी के जरिए जुडे। जबकि एसीएस होम राजीव स्वरूप और डीजी जेल एनआरके रेड्डी  व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।  अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कोराना जांच के बाद भी आरोपित को 21 दिन जेल के आईसोलेशन वार्ड में रखा जाए। वहीं बाद में सामान्य वार्ड में भेजने से पहले मेडिकल जांच कर सुनिश्चित किया जाए कि उसमें कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इसके अलावा अस्थमा के रोगी कैदियों का आरटी-पीसीआर चेकअप भी कराया जाए। अदालत ने कहा है कि आईसोलेशन वार्ड में कैदियों के संपर्क में आने वाले जेलकर्मियों और उनके परिजनों का नियमित रूप से रेंडम आधार पर टेस्ट किया जाए। इसके अलावा अदालत ने हर जिले के मेडिकल ऑफिसर को जेल के आईसोलेशन वार्ड का निरीक्षण कर सफाई आदि की सुनिश्चित करने को कहा है। इसके अलावा जेल के चिकित्सक भी आईसोलेशन वार्ड के कैदियों का नियमित चेकअप करे रिकॉर्ड संरक्षित करे। अदालत मामले की सुनवाई 27 मई को सुनवाई करेगी। जेलों के निरीक्षण के लिए कमेटियां गठन के आदेश- हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की पालना देखने के लिए जिला एवं तहसील स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तालुक्का विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, सीएमएचओ और संबंधित बार एसोसिएशन के अध्यक्ष या महासचिव की कमेटी गठित की है। यह कमेटी संबंधित जेलों का दौरा कर 22 मई तक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अपनी रिपोर्ट देगी।  सरकार ने कहा एक कैदी ने फैलाया कोरोना- सुनवाई के दौरान एजी ने अदालत को बताया कि एक आरोपित को 13 अप्रैल को जेल भेजा गया था। जहां उसे दो मई तक आईसोलेशन में रखा गया। तीन मई को उसे जेल के वार्ड नंबर पांच में भेजा गया। जहां 9 मई को वह बीमार हो गया। इसके बाद की गई जांच में वह कोरोना पोजिटिव मिला। तीन मई से नौ मई के बीच वह दूसरे कैदियों के साथ रहा, जिससे बडी समस्या खडी हो गई। वहीं एसीएस होम और डीजी जेल ने भी इस संबंध में अदालत का जानकारियां दी।

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