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हमारी सीमा में कोई घुसपैठ नहीं, कोई कब्जा नहीं ,मोदी


लद्दाख में गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि ना तो किसी ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ की है और ना ही किसी चौकी पर कब्जा किया है। हमारे बलों को देश की रक्षा के लिए जो करना चाहिए, वो कर रहे हैं, चाहे जवानों को तैनात करना हो, कार्रवाई करना हो या जवाबी कार्रवाई करना हो। उनके मुताबिक, नवनिर्मित बुनियादी संरचनाओं की वजह से, खासतौर पर एलएसी के आसपास हुए निर्माण से हमारी गश्त की क्षमता बढ़ी है।

इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान शुक्रवार को साफ किया है कि भारत और चीन के बीच हुई खूनी झड़प के वक्त खुफिया तंत्र में किसी प्रकार की भी नाकामी नहीं थी। दरअसल, बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भारतीय और चीनी सैनिकों की बीच हिंसक झड़प को लेकर पूछा था कि क्या यह खूफिया तंत्र की नकामी थी। उन्होंने यह भी कहा था- एलएसी पर तनाव कम करने के लिए हम बातचीत के सभी रास्तों का इस्तेमाल करने में विफल रहे, कीमती समय गंवाया और जिसके परिणामस्वरूप 20 जाने गंवानी पड़ी।

बता दें कि वर्चुअल ऑल पार्टी मीटिंग के दौरान 20 में से अधिकतर दलों ने सरकार का समर्थन किया। 20 में से ज्यादातर दलों ने कहा कि इस घड़ी में हम एक हैं और केंद्र के साथ हैं। हालांकि, कांग्रेस अलग-थलग नजर आई। ऐसा तब हुआ, जब महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी एनसीपी के शरद पवार ने सरकार का समर्थन किया।

केसीआर ने भी मोदी सरकार की कश्मीर नीति का सपोर्ट किया। मायावती भी बोलीं कि ये राजनीति का वक्त नहीं है। ममता भी सरकार के साथ दिखीं और बोलीं कि चीन को सबक सिखाने का समय आ चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि चीन को अब रेलवे, टेलीकॉम और अन्य क्षेत्रों में एंट्री नहीं देनी चाहिए। वहीं, एमके स्टालिन भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सबके साथ नजर आए।

BJD के पिनाकी मिश्रा ने कहा- सरकार को जवाब देना पड़ेगा। चीन के खिलाफ कड़ा ऐक्शन होना चाहिए। सरकार का जो भी कदम होगा, बीजेडी उसका पूरा समर्थन करेगी।  बता दें कि भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में 15-16 जून की रात हुई हिंसक झड़प के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें 20 दलों ने हिस्सा लिया।


मीटिंग में कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने हिस्सा लिया, जबकि असुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, अरविंद केजरीवाल की आप और लालू प्रसाद की आरजेडी को न्योता नहीं दिया गया। इन तीनों ही दलों ने इस मुद्दे पर नाराजगी जाहिर की है, जबकि कई अन्य लोगों ने इसे मुद्दा बनाया और कहा कि ये घटिया राजनीति है।

इससे पहले, भारत और चीन की सेना के बीच लद्दाख सीमा पर तनाव कम होता नहीं दिख रहा है। इस बीच अमेरिकी सीनेटर ने कहा है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख सीमा पर जानबूझकर तनाव बढ़ाया है, ताकि वह भारत के क्षेत्र पर कब्जा कर सके। सीनेटर मिच मैकॉनेल ने अमेरिकी संसद के उच्च सदन (सीनेट) में विदेश नीति पर भाषण में कहा कि पीएलए ने ही भारत और चीन के बीच हिंसा भड़काने का काम किया है।

वहीं, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने ट्वीट के जरिए कहा कि गलवान में चीन का हमारे जवानों पर हमला सुनियोजित था। लेकिन सरकार सोती रही और किसी भी समस्या से इनकार करती रही। इसकी कीमत हमारे शहीद हुए जवानों को चुकानी पड़ी है।

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