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भारत चीन सीमा पर चीन ने नहीं किया जमीनी हालात में बदलाव


भारत और चीन के बीच वार्ता में तनाव कम करने के लिए बनी सहमति के बावजूद जमीन पर हालात में बदलाव न होने से कूटनीतिक हलकों में बहुत उत्साह नहीं है। कूटनीतिक स्तर पर महसूस किया जा रहा है कि गेंद पूरी तरह से चीन के पाले में है। उनकी वजह से ही तनाव बढ़ा है। उन्हें ही पीछे हटना है। जब तक चीन विवाद वाले बिंदुओं से पीछे नहीं हटता और अपनी तरफ से सैन्य तैनाती कम नही करता कूटनीतिक वार्ताओं का बहुत मतलब नही रहेगा।

फिलहाल चीन पीछे हटने के लिए कठोर मोल तोल में जुटा है, लेकिन भारत ने अपना रुख बहुत ही तार्किक तरीके से स्पष्ट कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि भारत बहुत बारीकी से स्थिति पर नजर बनाए हुए है। किसी भी स्तर पर चीन को बढ़त लेने से रोकने की रणनीति बनाई गई है। चीन को कहा गया है कि अगली वार्ता से पहले जमीन पर कुछ बदलाव नजर आना चाहिए जिससे बातचीत की सार्थकता का पता चले।

फिलहाल सूत्रों ने कहा कि अगर चीन किसी भी स्तर पर बातचीत की पेशकश करता है, तो तय मैकेनिज्म के तहत बातचीत सम्भव है, लेकिन भारत ये जरूर जानना चाहेगा कि जमीन पर क्या एक्शन लिए गए। खासतौर पर पेंगोंग इलाके में चीन अगर लम्बा समय बिताना चाहेगा, तो भारत इसका कड़ा प्रतिरोध करेगा। क्योंकि इस इलाके में भारत की पेट्रोलिंग पर सीधा असर पड़ा है। गलवान, देसपांग औऱ हॉट स्प्रिंग के इलाकों पर भी भारत लगातार चीन की गतिविधियों पर नजर जमाए हुए है।

सूत्रों ने कहा खुफिया सूचनाएं, सेटेलाइट इमेज और अन्य माध्यमों से मिली सूचनाओं से स्पष्ट है कि चीन ने सीमा पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की है। अभी तय सहमति का पालन नहीं किया गया है। गुरुवार (25 जून) को विदेश मंत्रालय ने सिलसिलेवार तरीक़े से चीन की मंशा पर सवाल खड़ा करके यह स्पष्ट कर दिया था कि उसकी ओर से गड़बड़ जारी है। सूत्रों ने कहा कि चीन मामले को लंबे समय तक खींचने के मूड में है, जिस तरह का मूवमेंट उनकी तरफ से हुआ है उसे हटाने में वक्त भी लगेगा। इसलिए भारत चाहता है कि चीन त्वरित तरीक़े से कदम उठाए।


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