नौसेना ने मालदीव में फंसे 198 भारतीयों को स्वदेश पहुंचाया
- Rajesh Jain
- Jun 23, 2020
- 2 min read
नई दिल्ली, 23 जून । ऑपरेशन 'समुद्र सेतु' के तहत भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस ऐरावत मंगलवार को सुबह 6 बजे के करीब मालदीव की राजधानी माले से 198 भारतीयों को लेकर तमिलनाडु के तूतीकोरिन बंदरगाह पर पहुंच गया। बंदरगाह पर पहुंचने से पहले आईएनएस ऐरावत का नौसेना के जहाजों ने स्वागत किया और फ्लीट में शामिल होकर तूतीकोरिन हार्बर में प्रवेश कराया।
नई दिल्ली, 23 जून । ऑपरेशन 'समुद्र सेतु' के तहत भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस ऐरावत मंगलवार को सुबह 6 बजे के करीब मालदीव की राजधानी माले से 198 भारतीयों को लेकर तमिलनाडु के तूतीकोरिन बंदरगाह पर पहुंच गया। बंदरगाह पर पहुंचने से पहले आईएनएस ऐरावत का नौसेना के जहाजों ने स्वागत किया और फ्लीट में शामिल होकर तूतीकोरिन हार्बर में प्रवेश कराया।
भारत सरकार के 'मिशन वंदे भारत' के तत्वावधान में भारतीय नौसेना ने 'ऑपरेशन समुद्र सेतु' शुरू किया था, जिसका यह चौथा चरण है। इसके पहले के तीन चरणों में मालदीव, श्रीलंका और इस्लामिक गणराज्य ईरान से 3,107 भारतीय नागरिकों की समुद्री मार्ग से 'घर वापसी' की जा चुकी है।

मालदीव से भारतीय नागरिकों को लाने के लिए आईएनएस ऐरावत 20 जून को सुबह राजधानी माले पहुंच गया था। रविवार को जब आईएनएस ऐरावत पोर्ट ऑफ माले पहुंचा तो भारतीयों को जहाज पर सवार करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इससे पहले आव्रजन की प्रक्रिया वेलना हवाई अड्डे पर पूरी की गई। नागरिकों को भारतीय नौसेना के जहाज ऐरावत पर सवार करने के पहले सभी यात्रियों के स्वास्थ्य की जांच की गई। जहाज पर चढ़ने से पहले यात्रियों को उनकी आईडी और उनका सामान आवंटित किया गया। इसके बाद संगरोध का पालन कराने के लिए यात्रियों को जहाज पर विशेष रूप से चिह्नित क्षेत्रों में बिठाया गया। जहाज के चालक दल ने भी सामाजिक दूरी, कीटाणुशोधन और सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया।
आईएनएस ऐरावत रविवार की देर शाम मालदीव से 198 भारतीय नागरिकों को लेकर तमिलनाडु के तूतीकोरिन बंदरगाह के लिए पोर्ट ऑफ माले, मालदीव से रवाना हुआ था। आईएनएस ऐरावत आज तड़के तूतिकोरिन बंदरगाह पहुंचा। तूतीकोरिन बंदरगाह पर जब आईएनएस ऐरावत ने अवरोहण किया तो सबसे पहले महिलाओं को क्रूज से बाहर आने दिया गया। एक बुजुर्ग को बीमार हालत में व्हील चेयर से जहाज से बाहर लाया गया। पोर्ट ट्रस्ट की तरफ से टर्मिनल पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई थी ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी यात्रियों को चिकित्सा सुविधा दी जा सके। बंदरगाह से बाहर आने के बाद सभी भारतीयों को राज्य अधिकारियों को देखभाल के लिए सौंपा दिया गया। इसके बाद बसों से सभी यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।
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