कोटा: सिर्फ 7 दिन में 400 से 500 के पार हुआ आंकड़ा
- Rajesh Jain
- Jun 4, 2020
- 2 min read

कोटा में कोरोना की स्पीड / सबसे पहले 13 दिन में 100 संक्रमित मिले थे, अब सिर्फ 7 दिन में 400 से 500 के पार हुआ आंकड़ा
कोटा में कोरोना टेस्टिंग लैब की क्षमता अगले कुछ दिन में रोज 3 हजार से ज्यादा हो जाएगी
कोटा स्थित नए अस्पताल से 10 कोरोना मरीज डिस्चार्ज किए गए
कोटा. कोटा में गुरुवार को कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 501 पहुंच गया। आज एक नया कोरोना पॉजिटिव केस सामने आया। चिंताजनक ये है कि मरीजों का आंकड़ा 7 दिन में 400 से 500 पहुंच गया है। कोटा जिले में 6 अप्रैल को पहला केस सामने आया था। जिसके बाद 19 अप्रैल को संख्या 100 पहुंची। इसके बाद 1 मई को 204, 15 मई को 318 और 27 मई को 414 पहुंची। जो अब 501 हो गई है।
अगले कुछ दिन में रोज हो सकेंगे 3 हजार से ज्यादा कोरोना टेस्ट कोरोना टेस्टिंग लैब की क्षमता अगले कुछ दिन में रोज 3 हजार से ज्यादा हो जाएगी। अभी 1000 से 1200 तक टेस्ट किए जा रहे हैं। प्रिंसिपल डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि हमारे पास तीन आरएनए एक्स्ट्रेटर आ चुके हैं, इनमें से दो पर काम शुरू कर दिया है, तीसरा शुरू होने के प्रोसेस में है। इसके अलावा एक आरएनए एक्स्ट्रेटर और आने वाला है। वहीं, हमारे पास 2 पीसीआर मशीनें आ चुकी हैं, 2 अगले एक सप्ताह में आ जाएंगी।
10 मरीज किए डिस्चार्ज नए अस्पताल से बुधवार को भी 10 कोरोना मरीज डिस्चार्ज किए गए। इनमें से 9 मरीजों को आलनिया स्थित क्वारैंटाइन सेंटर तथा 1 मरीज को घर के लिए डिस्चार्ज किया गया है। अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील ने बताया कि अब तक 390 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है, इनमें कोटा के अलावा हाड़ौती के अन्य जिलों के मरीज भी शामिल हैं।
चिंता जरूरी, क्योंकि नई स्टडी के अनुसार हवा में 20 फीट तक फैल सकता है वायरस कोरोना वायरस से बचने के लिए अब तक कहा जा रहा था कि 6 फीट की दूरी बनाकर आप सुरक्षित रह सकते हैं। नई रिसर्च में पता चला है कि खांसने, छींकने या सांस से निकले ड्रॉपलेट के साथ यह वायरस 20 फीट दूर तक जा सकता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं के मुताबिक यह वायरस अनुकूल परिस्थिति में तीन गुना दूर तक फैल सकता है। वैज्ञानिकों ने सांस से निकलने वाले ड्रॉपलेट की चाल का अलग-अलग तापमान, ह्यूमिडिटी और वेंटिलेशन कंडीशन में पता लगाने के लिए एक गणितीय मॉडल का सहारा लिया। उन्होंने पाया कि रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट के जरिए कोविड-19 का प्रसार दो तरीके से होता है। यह नजदीकी संपर्क में ट्रांसमिशन से और दूर से एयरोसोल एक्सपोजर से होता है। भारी ड्रॉपलेट गुरुत्वाकर्षण के कारण आसपास ही बैठ जाते हैं, जबकि हल्के ड्रॉपलेट तेजी से वाष्पित होकर एयरोसोल पार्टिकल बनाते हैं जो वायरस के साथ घंटों तक हवा में रह सकते हैं।























































































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