top of page

कोटा: कम बारिश में ही ओवरफ्लो हो जाएंगे बांध


ree

कोटा | इस बार बारिश से पहले ही हाड़ाैती के चाराें प्रमुख बांध लबालब हैं। इस बार औसत से कम बारिश हाेने पर भी ये ओवरफ्लाे हाे जाएंगे।पिछले साल औसत से दाेगुनी बारिश हुई। साथ ही काेराेना के दाैर में लाॅकडाउन के कारण लगभग दाे महीने उद्याेग, हाेटल और रेस्टाेरेंट बंद रहे। इससे पानी की खपत कम हाे गई।

हाड़ाैती में औसत बारिश का आंकड़ा 746 एमएम है। इस बार 101 एमएम बारिश हाेते ही काेटा बैराज फुल हाे जाएगा। वहीं इस साल सामान्य बारिश भी हुई ताे हाड़ाैती के सारे बांध फुल हाे जाएंगे। माैसम विभाग ने इस बार अच्छी बारिश का पूर्वानुमान जताया है।

ree

लाॅकडाउन में पानी के कम इस्तेमाल के कारण चंबल के चाराें प्रमुख बांधों का जलस्तर भराव क्षमता से 1.6 से लेकर 16 फीट तक ही कम है। गांधीसागर 16 फीट, राणाप्रताप सागर 14 फीट, जवाहरसागर 7 फीट व काेटा बैराज सिर्फ 1.6 फीट ही खाली है। इस बार औसत की 13.53 प्रतिशत बारिश हाेते ही काेटा बैराज फुल हाे जाएगा। वहीं लगभग 800 एमएम बारिश हाेने पर गांधी सागर बांध भर जाएगा।


बांधों से बढ़ा ग्राउंड वाटर लेवल, नतीजा-जून में भी काम कर रहे 95% ट्यूबवैल

बांध भरे हाेने और पिछले साल अच्छी बारिश हाेने से भूजलस्तर में भी 15 से 20 फीट का अंतर आया है। अमूमन हर साल मार्च से ही संभाग के 40 प्रतिशत ट्यूबवेल सूख जाते थे, इस बार जून तक 95 प्रतिशत ट्यूबवेल काम कर रहे हैं। यही कारण है कि पिछले वर्षाें में बारिश आने से पहले बांध खाली हाे जाते थे, इस बार वे लबालब भरे हुए हैं। काेटा संभाग के दाे छाेटे बांधाें काे छाेड़कर सभी बड़े बांध भरे हुए हैं।

  • अभी प्री मानसून में ही 38.4 मिलीमीटर बारिश हाे चुकी है। काेटा में पिछले साल औसत दाेगुने से अधिक 1525 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इसलिए सभी डैम लबालब हाे गए थे। 

  • मार्च में लाॅकडाउन लग जाने के कारण फैक्ट्रियां, हाेटल, रेस्टाेरेंट, मैस, वाटरपार्क, स्वीमिंग पूल बंद रहे। अधिकतर पानी घराें में ही इस्तेमाल हुआ। इसलिए बांधाें का जलस्तर ज्यादा है। 

  • इस बार औसत बारिश में भी गांधीसागर, राणाप्रताप सागर, जवाहरसागर व काेटा बैराज छलक जाएंगे। इसके साथ ही हमें बाढ़ से बचाव के लिए एहतियात भी बरतने होंगे।


Comments


  • WhatsApp-icon
  • Wix Facebook page
  • Wix Twitter page
  • Wix Google+ page
Copyright Information
© copyrights reserved to "dainik desh ki dharti"
bottom of page