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कोटा: दोहरे हत्याकांड में मिली फांसी की सजा को उम्र कैद में बदला


कोटा का चर्चित अग्रवाल दंपति दोहरा हत्याकांड

जयपुर, 31 जुलाई । राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा के चर्चित अग्रवाल दंपति दोहरे हत्याकांड में अभियुक्त जगदीश चंद माली को मिली फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से पेश डेथ रेफरेंस और आरोपित पक्ष की ओर से पेश अपील पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में माना की मृतक के यहां ड्राईवर अभियुक्त ने दंपति की हत्या की है, लेकिन इसे विरल से विरलतम श्रेणी में मानकर फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि फांसी की सजा उसी स्थिति में दी जाती है, जब लगे की अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा पर्याप्त नहीं है। राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस पेश कर कहा गया कि 14 अप्रैल 2014 की रात घर में घुसकर राजेन्द्र अग्रवाल और उसकी पत्नी गीता देवी की हत्या करने के मामले में कोटा की एडीजे कोर्ट ने 31 जुलाई 2019 को अभियुक्त जगदीश चंद माली को फांसी की सजा सुनाते हुए अपराध में सहयोग करने वाली उसकी पत्नी शिमला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। ऐसे में जगदीश की फांसी की सजा को कन्फर्म किया जाए। दूसरी ओर बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि उसे प्रकरण में फंसाया गया है। घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी नहीं है। ऐसे में उसे केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर ही फांसी की सजा सुनाई गई है। इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए। अपील में गुहार की गई कि यदि आदेश रद्द नहीं किया जाता तो उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जाए।

मामले के अनुसार अभियुक्त जगदीश माली कोटा के जवाहर नगर थाना इलाका निवासी राजेन्द्र अग्रवाल के यहां ड्राईवर का काम करता था। उसे अपने बेटे की शादी के लिए रुपए की जरुरत थी। ऐसे में उसने अपनी पत्नी शिमला के साथ मिलकर 14 अप्रैल 2014 की रात राजेन्द्र और उसकी पत्नी गीता की सिर पर वार कर हत्या कर दी और आलमारी में रखे एक लाख रुपए और जेवरात लूट लिए। घटना को लेकर मृतक के चचेरे भाई ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी।

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