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रेड ज़ोन में होने पर भी कोटा कम्फर्टेबल


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कोरोना(कोविड-19) की महामारी से पूरे विश्व में है हाहाकार मची है। सोमवार की मध्य रात्रि तक कि रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में कुल 55,52,717 कोरोना संक्रमित मरीजों में से 23,29,913 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं जबकि 3,48,095 मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत की बात करें तो कुल 1,44,868 संक्रमित मरीजों में से 60,304 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और 4,150 की मौत हो चुकी है। देश के सबसे संक्रमित राज्य महाराष्ट्र में सर्वाधिक 52,667 संक्रमित मरीज पाये गए जिन में 1,659 की मौत हो चुकी है। राजस्थान में 7300 कुल संक्रमित मरीज़ों में से 60 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और 167 की मौत हो चुकी है।

विश्व में कोरोना महामारी की इस संक्षिप्त भूमिका के बाद हम चर्चा करते है भारत के विख्यात कोचिंग शहर कोटा की जो रेड ज़ोन में होने पर भी आज के हालातों में चिंताजनक नहीं कहा जा सकता। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तो यह है कि हर वर्ष करीब 1.75 लाख स्टूडेंट्स जो 25 राज्यों एवं 5 केन्द्र शासित राज्यों से आते हैं और इनमें करीब 50 हज़ार छात्राएं होती हैं ,कोचिंग क्षेत्र कोरोना मुक्त रहा। लोक डाउन के दौरान कोटा में फंसे करीब 48 हज़ार स्टूडेंट्स को बसों एवं रेलों से सुरक्षित उनके घर पहुँचाया गया। बाहर के प्रवासी मजदूरों को भी भेजने की व्यवस्था की गई।

कोटा जिले की जन संख्या जनगणना 2011 के मुताबिक 19,51,014 लाख थी। वर्ष 2001 की जनगणना से अगले एक दशक में जनसंख्या वृद्धि 24.30 प्रतिशत रही। अब कम से कम 20 प्रतिशत वृद्धि का भी अनुमान लगाए तो वर्तमान में कोटा जिले की जनसंख्या 23.41 लाख के आस -पास आंकी जा सकती है।

कोटा जिले में सोमवार की रात 25 मई तक कुल कोरोना संक्रमित 386 मरीजों में से 319 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं एवं 16 की मौत हो चुकी है। राहत की बात यह है कि कोटा में 75 प्रतिशत मरीज स्वथ्य हो चुके हैं। स्वथ्य मरीजों में से 303 को डिस्चार्ज कर दिया गया है। कोटा में अब कुल 67 मरीज संक्रमित रह गए हैं।

अब कोटा जिले की अनुमानित वर्तमान 23.41 लाख की जनसंख्या के अनुपात में देखे तो अब तक कुल संक्रमित 386 मरीज आये आर्थात बहुत ही कम मरीज कोरोना से पीड़ित हुए। अब जब कि 67 पपोजिटिव मरीज ही रह गए है, कोटा ज़िला आज की स्थिति में काफी कंफर्टेबल है।

कोटा में कोरोना की जंग सब मिल कर एकजुट हो कर लड़ हैं। जनप्रतिनिधियों विशेष कर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धरीवाल ने निरंतर निगाह बनाये हुए है, हालातों की समीक्षा कर सरकार को अवगत कराया और संसाधन सुलभ कराए। न केवल अपने सरकारी कोष से वरन व्यक्तिगत स्तर से भी लोक डाउन प्रभवितों को सहायता की व्यवस्था कराई। मदद के यज्ञ में समाजसेवी व्यक्तियों,सामाजिक ,व्यापारिक एवं विभिन्न संघों और संस्थाओं ने बढ़-चढ़ कर सक्रिय भागीदारी निभाई।

कोटा ज़िला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने दिन रात एक कर स्थिति को संभाला, नियंत्रण कक्ष स्थापित कर नागरिकों को सुविधा उपलब्ध कराई, संक्रमित क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया पर कर्फ्यू ग्रस्त क्षेत्र में सुनिश्चित किया गया कि अति आवश्यक सेवाओं से कोई महरूम नहीं रहें। लोक डाउन की सख्ती से पालना कराई गई जिस का परिणाम हुआ कि संक्रमितों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी।अधिक से अधिक लोगों की जांच कराई गई। आवश्यक खाद्य वस्तुओं एवं दवाइयों की आपूर्ति निरंतर बनी हुई है। जरूरत नहीं रहने पर कई जगहों से कर्फ्यू हटाया गया। पुलिस कर्मियों का मित्रतापूर्ण व्यवहार देख लोगों को पहली बार पुलिस का मानवीय चेहरा नज़र आया।

मेडिकल विभाग का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान रहा। कोरोना सन्दिग्ध की जांच,भर्ती करने,इलाज करने, कवरेन्टीन में भेजने, स्वस्थ कर डिस्चार्ज करने में चिकित्सकों एवं स्टाफ ने जिस साहस, धैर्य,संवेदनशीलता ,सेवाभाव का परिचय दिया आज हर कोटवासी की जुबान पर उनकी प्रशंसा है।

अब जब कि लोक डाउन -04 में दी गई छूट से बाजार करीब 70 प्रतिशत खुल गए हैं, उद्योग भी रफ्तार पकड़ रहे हैं ,किसान अपनी उपज का विक्रय कर रहे है,गांवों में मनरेगा में श्रमिकों को रोजगार मिलने लगा है और जन जीवन पहले की तरह पटरी पर आने लगा है । कोचिंग संचालक भी नियमों की पालना के साथ पुनः अपनी तैयारी में जुट गए हैं , प्रतीक्षा है निर्देशों की और लोक डाउन खुलने की। प्रशासन चौकस हो कर दी गई रियायतों के नियमों का पालन,चेहरे पर मास्क,सामाजिक दूरी,वाहन चलाने के नियमों आदि की सख्ती से पालना करा रहा है। ऐसे में अब जिले के नागरिकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वे मास्क लगाने,सामाजिक दूरी बनाए रखने,अति आवश्यक हो ने पर ही घर से बाहर निकलने,यात्रा पर जाने आदि के नियमों का स्वेच्छा से पालन कर कोटा जिले को कोरोना मुक्त बनाने में अपना पूर्ण योगदान करें।

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डॉ. प्रभात कुमार सिंघल


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