लॉकडाउन 4.0 का उल्लंघन पड़ेगा महंगा, जेल और आर्थिक दंड दोनों का है प्रावधान
- Rajesh Jain
- May 18, 2020
- 4 min read

देश में 18 मई से लॉकडाउन 4.0 लागू हो गया है। सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, विभिन्न संगठन, कामगार और सामान्य नागरिक इसका सौ फीसदी पालन करें, इसके लिए केंद्र सरकार ने कई सख्त प्रावधान किए हैं। लॉकडाउन उपायों के उल्लंघन का अपराध करने पर जेल की सजा और आर्थिक दंड, दोनों मिल सकते हैं।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से लेकर 60 तक जो प्रावधान हैं, उनमें दो साल की सजा और जुर्माना, शामिल है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह दिशा निर्देश दिए गए हैं कि वे लॉकडाउन 4.0 के प्रावधानों का सख्ती से पालन कराएं।
अगर कोई भी व्यक्ति, सरकारी या गैर सरकारी, इनका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई की जाए।
कार्रवाई का सामना करने के लिए रहें तैयार
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 में कहा गया है कि लॉकडाउन 4.0 में अगर कोई व्यक्ति बिना किसी वाजिब कारण के सरकारी कार्यों या ड्यूटी में बाधा पहुंचाता है, तो उसे एक साल की सजा हो सकती है।
इसमें जुर्माने की बात भी कही गई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के किसी अधिकारी या कर्मचारी अथवा राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण व जिला प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत कोई व्यक्ति जो लॉकडाउन 4.0 के नियमों का पालन कराने के नियुक्त किया गया है, उसके कार्यों के निर्वहन में कोई बाधा पहुंचाता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।
साथ ही इस अधिनियम के तहत केंद्र व राज्य सरकार की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति या जिला प्राधिकरण द्वारा राज्य सरकार व केंद्र की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की ओर से दिए गए किसी निर्देश का पालन करने से कोई अधिकारी या कर्मचारी इंकार करता है तो उसे दोषसिद्धि पर एक वर्ष तक का कारावास और जुर्माना, दोनों की सजा हो सकती है।
यदि उस व्यक्ति द्वारा कार्य में बाधा डालने या निर्देशों का पालन नहीं करने से जीवन की हानि होती है या उनके लिए आसन्न खतरा पैदा होता है, तो ऐसे मामले में दो वर्ष की कैद होगी।
झूठे दावे के लिए भी दंड का प्रावधान
अधिनियम की धारा 52 के तहत मिथ्या दावे के लिए दंड- जो कोई जानबूझकर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण अथवा जिला प्राधिकरण से आपदा के परिणामस्वरूप कोई राहत, सहायता, मरम्मत, दोबारा निर्माण या अन्य फायदे प्राप्त करने के लिए ऐसा दावा करता है, जिसके बारे में वो खुद जानता है कि वह दावा झूठा है तो दोषसिद्धि पर उसे दो वर्ष तक की सजा दी जा सकती है।
इसमें जुर्माना करने का भी प्रावधान है। धारा 53 में लिखा है कि ऐसे केस में अगर धन या सामग्री का दुरुपयोग होता है तो जिम्मेदारी व्यक्ति को दो वर्ष तक की सजा मिलेगी। जर्माना भी रहेगा। धारा 54 के तहत यदि कोई मिथ्या चेतावनी जारी होती है तो इस स्थिति में भी एक वर्ष तक की सजा दी जाएगी।
धारा 55 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है तो विभागाध्यक्ष को इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा। तब तक विभागाध्यक्ष को दोषी माना जाएगा, जब तक वह ये साबित नहीं कर देता कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था।
उसे यह भी साबित करना होगा कि उसने ऐसे अपराध को रोकने के लिए तय समय पर तत्परता बरती थी।
इतनी भारी पड़ जाएगी ड्यूटी पर लापरवाही
अधिनियम की धारा 56 के अनुसार, किसी अधिकारी की उसके कर्तव्य पालन में असफलता या उसकी ओर से इस अधिनियम के उपबंधों के उल्लंघन के प्रति मौन सहमति, जैसा कोई उल्लंघन सामने आता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
ऐसा कोई अधिकारी, जिस पर इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन कोई कर्तव्य अधिरोपित किया गया है, और जो अपने पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा या करने से इंकार करेगा या स्वयं को उससे विमुख कर लेगा तो उस स्थिति में भी अधिकारी पर कार्रवाई होगी।
बशर्ते, उसने ऐसा करने से पहले अपने वरिष्ठ अधिकारी की लिखित अनुमति न ली हो या उसके पास ऐसा करने के लिए कोई अन्य विधिपूर्ण कारण न हो तो ऐसी स्थिति में उसे एक वर्ष तक की कैद हो सकती है। इसमें जुर्माना भी शामिल रहेगा।
कंपनियों के अपराध किए जाने की स्थिति में
धारा 58 में लिखा है कि लॉकडाउन 4.0 के दौरान कंपनियों से उक्त अपराध होता है, तो उसके लिए संचालक और इंचार्ज को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। साथ ही, वह कंपनी भी ऐसे उल्लंघन की दोषी समझी जाएगी। उसके विरुद्ध भी कार्रवाई करने और दंड दिए जाने का प्रावधान है।
किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में उपबंधित किसी दंड का भागी नहीं बनाया जाएगा, यदि वह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सब सम्यक तत्परता बरती थी।
इस अधिनियम में कोई अपराध किसी कंपनी की तरफ से किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कंपनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की स्वीकृति या मौन सहमति से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है, तो वहां ऐसे निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी को उस अपराध का दोषी माना जाएगा और उसे दंड मिलेगा।























































































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