जयपुर की फैक्ट्रियों में काम शुरू, श्रमिकों की कमी बड़ा संकट
- anwar hassan

- May 24, 2020
- 3 min read

जयपुर, 23 मई (हि.स.)। कोरोना संकट काल में अचानक हुए लॉकडाउन के अब साइट इफैक्ट भी सामने आने लगे है। कोरोना काल में उद्योग- धंधे, रोजगार सब बंद होने के कारण भूखमरी, बेबसी और उपेक्षा का शिकार हुए मजदूर अब अपने गृह राज्यों से लौटना नहीं चाहते है। जिन राज्यों में उन्होंने अपनी सेवा देते हुए पूरा जीवन खपा दिया अब उन राज्यों में दो माह के लॉकडाउन में दो वक्त की रोटी का संघर्ष और पुलिस की लाठियां उनको दिल में चुभ रही है। सैकड़ों- हजारों किमी का सफर कर अपने घर भूखे -प्यासे पहुंचे मजदूरों का सिस्टम से विश्वास उठ चुका है। यही कारण है कि हर राज्य में पलायन कर चुके मजदूरों की वापसी बड़ा संकट बन चुका है। इनमें भी सबसे बड़ा संकट कुशल और अद्र्धकुशल कारीगरों का है राजस्थान के भी अधिकांश जिलों में इन लाखों मजदूरों के न होने से प्रदेश के ही हजारों उद्योंगों पर आने वाले दो माह बाद विपरीत असर पड़ सकता है। इस समय प्रदेश में करीब दूसरे राज्यों में गए करीब 15 लाख मजदूर आ चुके हैं। इन मजदूरों के समक्ष भी रोटीरोजी का बड़ा संकट है। हालांकि फैक्टी प्रबंधन के आगे बड़ा संकट उन कुशल श्रमिकों का है जिनके पीछे वर्षों से फैक्ट्रियों में काम संचालित होता आया था। कोरोना काल में उद्योग- धंधे पूरी तरह बंद होने के कारण इन फैक्ट्रियों और उद्योगों में काम करने वाले मजदूर भी चले गए। मजदूर रोजी-रोटी का संकट खड़ा होने केकारण गए तो कुछ मजदूर इस महामारी में अपने परिवार से दूर रहने की बजाए उनके पास जाना उचित समझा। अब जब लॉकडाउन काफी हद तक कम हो चुका है तो शुरू हुए उद्योग-धंधों, फैक्ट्रियों, बाजारों में श्रमिकों और मजदूरों की कमी बड़ा संकट बन चुकी है। राजस्थान में वैसे देश के सभी राज्यों से काम के लिए आए मजदूर लोग रहते आए है लेकिन इनमें मध्यप्रदेश, बिहार, उतरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित पश्चिम बंगाल के मजदूरों की संख्या सर्वाधिक है। जहां उद्योगों में उतरप्रदेश, पश्चिम बंगाल के श्रमिकों को हर परिस्थितियों में काम करने में सक्षम माने जाते है। महाराष्ट मध्यप्रदेश के मजदूरों का जयपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में छोटे-छोटे थडियों, ठेलों में संचालित धंधों पर बड़ा कब्जा रहा तो फैक्ट्रियों में भी इनकी खपत ज्यादा है। जोधपुर के परम्परागत उद्योगों में तो यूपी के मजदूरों की संख्या सर्वाधित है जिनमें से अधिकांश अपने गृह जिलों में जा चुके है वहीं जयपुर में भी फैक्ट्रियों में मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, पश्चिम बंगाल के मजदूरों की संख्या ज्यादा है। जयपुर के बस्सी इलाके में शुरू हुई फैक्ट्रियों में अब बड़ा संकट कुशल कारीगरो का है जो अब अपने गृहराज्यों में जा चुके है जहां फैक्ट्रीमालिकों ने यहां पर बचे शेष मजदूरों के सहारे काम शुरू कर दिया है तो बाकी मजदूरों की कमी उनके समक्ष बड़ी चुनौति है। बस्सी और आसपास की दर्जनों फैक्ट्रियों और अन्य उद्योगों में हजारों प्रवासी श्रमिक काम करते है। जिन फैक्ट्रियों, उद्योगों और दूसरे कामों से मजदूरों का पलायन हो चुका है अब वहां पर पुराने मजदूरों को वापस बुलाना बड़ा संकट है। अधिकांश मजदूर पलायन के समय यह धारणा मन में बनाकर गए कि अब उनको दुबारा वापस नहीं आना है। ऐसे में अब नए श्रमिकों के साथ उद्योंगों को गति देना आसान नहीं होगा। कई फैक्ट्री मालिक पत्र भेजकर या फोन के जरिए उनको वापस आने की अपील कर रहे है लेकिन कोरोना काल में उपेक्षा और सिस्टम की लापरवाही से टूट मजदूरों को वापस आने में डर लगता है। कई जगह जगहों पर वेतन में 20 से 40 फीसदी बढ़ोतरी की बात करके श्रमिकों को वापस बुलाए जाने की पहल भी की जा रही है लेकिन अभी लॉकडाउन के बाद अव्यवस्थाओं से घबराया श्रमिक वापस नहीं आना चाहता है।























































































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