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भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को मिला करारा जवाब: प्रधानमंत्री


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नई दिल्ली 28 जून । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' से लद्दाख में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई

हिंसक झड़प का जिक्र करते हुए कहा कि भारत मित्रता भी निभाना जानता है और समय आने

पर शत्रु को उचित जवाब भी देना जानता है। उन्होंने कहा, “लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने

वालों को करारा जवाब मिला है।”

प्रधानमंत्री ने इस दौरान जनता से आग्रह किया कि जिस संकल्प को लेकर देश का

जवान सरहद पर शहीद हुआ है उसी संकल्प को अपना ध्येय बनाते हुए हमें आत्मनिर्भर

बनना है। इसके लिए हमें स्थानीय उत्पादों को तरजीह देनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने- यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि

भी होगी। कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है। इसीलिए

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है। आप लोकल

खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे। ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है। भारत का संकल्प है

- भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा। भारत का लक्ष्य है- आत्मनिर्भर भारत।भारत

की परंपरा है-भरोसा, मित्रता। भारत का भाव है-बंधुता। हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे”


प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत के वैश्विक दृष्टिकोण सामने रखा और कहा

कि देश दुनिया में शांति, स्थिरता और विकास में भागीदार बनना चाहता है। साथ ही

भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं कर सकता है। इसी के चलते अब दुनिया में

भारत का आदर करने लगी है।

उन्होंने कहा, “भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मज़बूत

किया है। दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। अपनी

संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के कमिटमेंट को

देखा है।”



उन्होंने कहा, “बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों

में गूँज रहे हैं। वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा। यही हौंसला हर शहीद के परिवार का है।

वास्तव में, इन

परिजनों का त्याग पूजनीय है।”


प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश कोरोना संकट काल में अनलॉक की प्रक्रिया से

होकर गुजर रहा है। ऐसे में हमें ध्यान देना है कि देश कोरोना को हराये और आर्थिक

विकास की दिशा में आगे बढ़े। उन्होंने लोगों से मास्क पहनने और दो गज की दूरी

बनाने का भी आग्रह किया। मोदी ने कहा कि आज पूरा देश लद्दाख में शहीद हुए जवानों के शौर्य को नमन कर

रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है और उनके परिजनों के दुख को अनुभव कर रहा है।


उन्होंने कहा कि वर्षों से हमारा खनन क्षेत्र लॉकडाउन के दौर से गुजर रहा था।

कर्मशियल नीलामी को मंजूरी देकर हमने क्षेत्र को अनलॉक के दौर अनलॉक कर दिया। कृषि

क्षेत्र में भी बहुत सारी चीजें दशकों से लॉकडाउन में फसी थीं। इस अनलॉक किया किया गया है। इससे किसानों को अपनी

फसल कहीं पर भी किसी

को भी बेचने

की आजादी मिली है। दूसरी तरफ, उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है, ऐसे, अनेक क्षेत्र हैं जहांं हमारा देश इन सब संकटों के बीच, ऐतिहासिक निर्णय लेकर विकास के नये रास्ते खोल रहा है। उन्होंने कहा कि देश के

बड़े हिस्से में मॉनसून पहुंच चुका है। बारिश को लेकर वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं।

बारिश अच्छी होगी तो किसान समृद्ध होगा। बारिश दोहन की भरपायी करती है। इसमें हमें

अपना दायित्व निभाना है।


प्रधानमंत्री ने बच्चों और बुजर्गों को कोरोना संकट काल के दौरान आपस में

जुड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी अपने बुजर्गों से बहुत कुछ सीख

सकती है। जिसमें पुराने खेल और उस समय जीवन कैसा होता था इत्यीदि। इससे उन्हें

प्रेरणा और बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।


उन्होंने कहा,“ हमारी युवा पीढ़ी के लिए भी, हमारे स्टार्टअप के लिए भी, यहाँ, एक नया अवसर है, और, मजबूत अवसर है। हम भारत के पारम्परिक घर में खेले जाने वाले खेलों को नये और

आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें।”


प्रधानमंत्री ने कहा कि संकट के समय बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है इसका

उदाहरण हमारे सामने आया है। जहां मजदूरों ने अपने श्रम से कई बड़े-बड़े काम कर दिए

हैं। उन्होंने कहा, “जैसे कपूर, आग में तपने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, वैसे ही अच्छे लोग आपदा में भी अपने गुण, अपना स्वभाव नहीं छोड़ते। आज, हमारे देश की जो श्रमशक्ति है, जो श्रमिक साथी हैं, वो भी, इसका जीता जागता उदाहरण हैं। ” उन्होंने उदाहरण दिया कि

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में गांव लौटकर आए मजदूरों ने कल्याणी नदी का प्राकृतिक

स्वरूप लौटाने के लिए काम शुरू कर दिया। नदी का उद्धार होता देख, आस-पास के किसान, आस-पास के लोग भी उत्साहित हैं।


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