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मानवता हुई शर्मसार 4 माह की बच्ची का अंतिम संस्कार नहीं किया परिजनों ने

मासूम की मौत, परिजनों ने नहीं लगाया हाथ,

एसडीएम ने किया अंतिम संस्कार


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भीलवाड़ा, 28 मई । तीन बार कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके भीलवाड़ा में अब प्रवासियों के लगातार संक्रमित होकर भीलवाड़ा पहुंचने के दौरान आमजन में कोरोना संक्रमण का खौफ इस कदर बैठ चुका है कि अब तो परिजन भी अपनों की मौत के बाद दूरी बनाने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला भीलवाड़ा जिले के करेड़ा क्षेत्र के चावंडिया गांव में गुरूवार को सामने आया है। चार माह की एक मासूम बालिका की मौत के बाद उसके शव को करीब 14 घंटे तक अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। अंततः मांडल क्षेत्र के उपखंड अधिकारी ने पहल करते हुए मासूम के शव को उठाया और उसे शमशान घाट ले गए। वहां उपखंड अधिकारी ने अपने हाथों से बालिका का अंतिम संस्कार किया।

दिल को दहला देने वाला यह मामला भीलवाड़ा जिले के करेड़ा उपखंड के चावंडिया गांव से जुड़ा हुआ है। बुधवार रात को 4 माह की एक मासूम बालिका की मौत हो गई। उसके पिता कोरोना संक्रमित होने के कारण जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में उपचाररत हैं। सामान्य बीमारी से मौत का शिकार हुई इस मासूम बालिका का परिवार पिछले दिनों मुंबई से अपने घर आया था। यहां आने पर उन्हें करेड़ा के एकांतवास केन्द्र में रखकर उनके सैंपल लिए गए थे। उसमें बालिका के पिता की रिपोर्ट संक्रमित आई थी।

इस पर उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। बालिका, उसकी मां और बाकी परिजनों की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उन्हें घरेलू एकांतवास के लिए घर भेज दिया था। लेकिन इस दौरान घर पर बुधवार रात को मासूम बालिका तबीयत खराब हो गई। मांडल के ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर ने बताया कि बालिका की तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने पर उन्होंने गाड़ी भेज उसे अस्पताल पहुंचाया था, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इस पर उसके शव को वापस गांव भेज दिया गया। लेकिन बालिका के परिजन उसकी नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने के बाद ही उसके अंतिम संस्कार करने पर अड़ गए। इसके चलते बुधवार रात से गुरुवार दोपहर तक मासूम बालिका का शव अपने अंतिम संस्कार का इंतजार करता रहा।

इसकी सूचना मिलने पर मांडल उपखंड अधिकारी महिपाल सिंह और स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स 2 घंटे से अधिक समय तक परिजनों से समझाइश करते रहे, लेकिन वे उसके अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं हुए। इस पर उपखंड अधिकारी महिपाल सिंह बालिका के घर में प्रवेश कर उसका शव लाए और उसे लेकर शमशान घाट तक गए। वहां सिंह ने खुद ही गड्ढा खोदकर उसका अंतिम संस्कार किया। उपखंड अधिकारी के अंतिम संस्कार करने के बाद परिजनों व ग्रामीणेां ने राहत की सांस ली।


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