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समय से पहले केरल पहुंचा मानसून


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नई दिल्ली। प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने दावा किया है कि 30 मई (शनिवार)को मानसून केरल के तट से टकरा गया। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के उलट दो दिन पहले ही मानसून केरल पहुंच गया। आईएमडी ने 1 जून को मानसून के पहुंचने की बात कही थी।

मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि इस बार मानसून औसत ही रहने वाला है। विभाग के मुताबिक, 96 से 100% बारिश को सामान्य मानसून माना जाता है। पिछले साल यह आठ दिन की देरी से 8 जून को केरल के समुद्र तट से टकराया था। भारत में जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून से बारिश होती है।

बता दें आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल तट से टकराने के बाद आगे बढ़ जाता है. इसके बाद में 5 जून को गोवा, कर्नाटक, असम, आंध्रप्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों में दस्तक देता है. इस बार समय से पहले आ जाने के कारण बारिश भी जल्द शुरू हो जाएगी. 

10 जून को इन राज्यों में कर सकता है प्रवेश

मौसम विभाग के मुताबिक 10 जून को मानसून महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में प्रवेश कर सकता है. इसके अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और बिहार में 15 को मानसून के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.

अरब सागर के ऊपर तूफान सक्रिय

आईएमडी ने शनिवार को कहा कि अगले 48 घंटे में अरब सागर के ऊपर एक निन्न दबाव का क्षेत्र बनेगा और वह तीन जून तक गुजरात और उत्तर महाराष्ट्र के तटों की ओर बढ़ेगा।अरब सागर के ऊपर दो तूफान बन रहे हैं, जिसमें से एक अफ्रीकी तट से लगे समुद्र क्षेत्र के ऊपर है और वह ओमान व यमन की ओर बढ़ सकता है, जबकि दूसरा भारत के करीब है।

आधे से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर

भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए मानसून बेहद जरूरी है। अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि आधारित है। देश में आधे से ज्यादा खेती सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर होती है। चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए बारिश बेहद जरूरी होती है।

कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है। इस वजह से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शुमार भारतीय अर्थव्यवस्था इन दिनों मुश्किलों का सामना कर रही है।

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