प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए, पर्यावरण पर ध्यान देना होगा
- Desh Ki Dharti
- Jun 4, 2020
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प्रकृति मूक,सहनशील व गंभीर है लेकिन हद से अधिक छेड़छाड़ प्रकृति को पंसद नहीं है। उसके धैर्य व सहनशीलता को उसकी कमजोरी समझने की भूल हम बरसों से कर रहे हैं। ओर इसी भूल का परिणाम है कि आज कहीं पर भंयकर तुफान तो कहीं पर सुखा, कभी ज्वालामुखी तो कभी भूकंप। ओर इस साल की वैश्विक महामारी कोरोना ने जन्म लिया। हम भूल जाते हैं कि प्रकृति लाचार नहीं, वह अपना प्राकृतिक न्याय अवश्य करती हैं। ओर अब आये दिन आने वाले भूंकप, बाढ़,तुफान, कोरोना जैसी वैश्विक महामारी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने वालों के लिए न्याय प्रारंभ हो चुका है।
पर्यावरण को स्वस्थ व स्वच्छ बनाने, प्रकृति के प्रबंधन के घटक जल, वायु, वसुधा व नभ के आदान-प्रदान में सहायक बन उसके संरक्षण में नारी की भूमिका अहम हो सकती है क्योंकि वह स्वयं संवेदनशील, समझदार, दूरदर्शी व स्नेह प्रेम की मूर्ति होती है। मां, बहन, बेटी या पत्नी के रूप में वह अपने बच्चों, भाइयों, पिताओं या पतियों की सबसे बड़ी हितचिंतक होती है साथ ही वह इस प्रकृति मां के अति दोहन व शोषण की पीड़ा को भी अच्छे से समझ सकती है। इसलिए वह हर रूप में हर व्यक्ति को पर्यावरण व प्रकृति संरक्षण के संस्कार बड़ी आसानी से दे सकती है।
आज आवश्यकता है कि जन-जन में पर्यावरण के प्रति संवेदना जागृत हो, प्रकृति से सहज जुड़ाव बढ़े, तभी पर्यावरण को दूषित करने वालों के प्रति आक्रोश होगा व हम स्वप्रेरणा से स्वयं के हित में प्रयास करेंगे। यह संस्कार नारी ही दे सकती है। प्रकृति के कोप से बचने के लिए, भावी पीढ़ी को विरासत में स्वस्थ पर्यावरण देने व प्रकृति को पुनः समृद्ध बनाने कुछ प्रयास प्राथमिकता समझ होने चाहिए।
▪️हम अपनी मां से सबसे अधिक प्यार करते हैं और उसे विभिन्न अवसरों पर उपहार दे उसे प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। वैसे ही प्रकृति की हरियाली लौटाकर पेड़-पौधों का अधिक से अधिक रोपण व संरक्षण कर धरती मां को खुश करना होगा।
▪️पॉलीथिन का उपयोग न करने का प्रण लें व बाजार जाते समय कपड़ें का थैला ले जाने की आदत ड़ाले।
▪️किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में गिफ्ट की जगह पेड़-पौधे भेट कर संबंधों को मजबूत बनाने की मानसिकता विकसित कर इसे परंपरा बनायें।
▪️ज्यादा से ज्यादा पानी का अपव्यय रोकने का हरसंभव प्रयास करें।
▪️अपने घर आंगन, आस पड़ोस में बेजुबान पक्षियों के लिए पानी के परिंडे तथा आसपास कम 5 पेड़ लगाकर उनकी जिम्मेदारी लें।
▪️रोजमर्रा के लिए बाजार जाते समय पैदल ही जाने की कोशिश करें।आफिस या अन्य किसी कार्य से बाहर जाते वक्त अधिक से अधिक "पुल-कार" का उपयोग करें।
▪️अपना कचरा कहीं भी सड़क पर न फैलाकर बीमारियों को रोकने का प्रयास करें। अपने आस पड़ोस को स्वच्छ बनाने का प्रयास करें।
▪️प्राकृतिक संपदाओं पानी, बिजली, गैस, पेट्रोल का मोल समझते हुए इनका दोहन कम से कम करें।
साहिल गुप्ता
अलवर
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