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लोकसभा अध्यक्ष के प्रयास से बंगला देश में फंसे श्रमिक घर पहुंचे


क्वरान्टीन अवधि में भी रखा ख्याल, दिल्ली से राजस्थान के लिए उपलब्ध करवाई बस


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कोटा 25 मई/कोरोना लाॅकडाउन के चलते बांग्लादेश में फंसे राजस्थान और मध्यप्रदेश के 24श्रमिक लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से सोमवार रात अपने घर पहुंच गए। अपने परिजनों को आंखों के सामने देख खुशी से इनकी आंखें भर आईं।

बूंदी, दौसा व चित्तौड़गढ़ के 23 तथा मध्यप्रदेश का एक श्रमिक रोजी-रोटी की तलाश में एक सीमेंट फैक्ट्री में काम करने बांग्लादेश गए थे। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए बांग्लादेश सरकार ने गत 26 मार्च को लाॅकडाउन की घोषणा कर दी। ऐसे में सीमेंट फैक्ट्री में भी काम बंद हो गया और यह श्रमिक भी वहां फंस गए।

परिजनों के माध्यम से जब इन श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मिली तो उन्होंने इनकी घर वापसी के प्रयास प्रारंभ कर दिए। विदेश मंत्रालय की सहायता से इन श्रमिकांे को 9 मई को राजधानी दिल्ली लाया गया। दिल्ली आने पर ं श्रमिकों को 14 दिन के लिए क्वरान्टीन कर दिया गया।

क्वारान्टीन अवधि में भी लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने इन श्रमिकों का पूरा ध्यान रखा। इनके स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं को लेकर चिकित्सकों व अधिकारियों से सम्पर्क बनाए रखा गया। लोकसभा अध्यक्ष भी नियमित तौर पर श्रमिकों की जानकारी लेते रहे।

इन श्रमिकों की 14 दिन की क्वारन्टीन अवधि 23 मई को समाप्त हो गई, जिस पर सभी ने जल्द से जल्द घर भेज दिए जाने का आग्रह किया। लोकसभा अध्यक्ष ने पहल करते हुए बूंदी, दौसा व चित्तौड़गढ़ के श्रमिकों के लिए तीन अलग-अलग बसों की व्यवस्था की जिसमें सवार होकर यह सभी श्रमिक सोमवार रात अपने-अपने घर पहुंच गए। इनमें बूंदी जिले के 6,(बरूधन के 3, गादेगाल 2,डोला की झोपडियाॅ के 1) चित्तौड़गढ 8 तथा दौसा के 9 श्रमिक शामिल हैं। मध्यप्रदेश के 1 श्रमिक के लिए अलग से व्यवस्था की गई।

लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय के द्वारा अवगत करवाया गया कि चाहे श्रमिक देश के किसी भी राज्य में फंसे हों या विदेश में, वे हमारी जिम्मेदारी है। उनकी सहायता के लिए केन्द्र व सभी राज्यों की सरकारें तत्परता व गंभीरता से कार्य कर रही हैं। लाॅकडाउन के बाद स्थितियां चुनौतीपूर्ण हो गई थीं, लेकिन बांग्लादेश में फंसे इन श्रमिकांे ने धैर्य बनाए रखा तथा निरंतर संपर्क में रहे। इसकी का नतीजा है इनकी सुखद घर वापसी हो सकी। उन्होंने सभी श्रमिकों से आग्रह किया कि घर पहुंचने की व्याग्रता नहीं करें। घर पहुॅचाने के लिए सरकारें उचित और सुविधाजनक व्यवस्थाएं कर रही हैं।

कोटा 25 मई 2020/कोरोना लाॅकडाउन के चलते बांग्लादेश में फंसे राजस्थान और मध्यप्रदेश के 24श्रमिक लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से सोमवार रात अपने घर पहुंच गए। अपने परिजनों को आंखों के सामने देख खुशी से इनकी आंखें भर आईं।

बूंदी, दौसा व चित्तौड़गढ़ के 23 तथा मध्यप्रदेश का एक श्रमिक रोजी-रोटी की तलाश में एक सीमेंट फैक्ट्री में काम करने बांग्लादेश गए थे। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए बांग्लादेश सरकार ने गत 26 मार्च को लाॅकडाउन की घोषणा कर दी। ऐसे में सीमेंट फैक्ट्री में भी काम बंद हो गया और यह श्रमिक भी वहां फंस गए।

परिजनों के माध्यम से जब इन श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मिली तो उन्होंने इनकी घर वापसी के प्रयास प्रारंभ कर दिए। विदेश मंत्रालय की सहायता से इन श्रमिकांे को 9 मई को राजधानी दिल्ली लाया गया। दिल्ली आने पर ं श्रमिकों को 14 दिन के लिए क्वरान्टीन कर दिया गया।

क्वारान्टीन अवधि में भी लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने इन श्रमिकों का पूरा ध्यान रखा। इनके स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं को लेकर चिकित्सकों व अधिकारियों से सम्पर्क बनाए रखा गया। लोकसभा अध्यक्ष भी नियमित तौर पर श्रमिकों की जानकारी लेते रहे।

इन श्रमिकों की 14 दिन की क्वारन्टीन अवधि 23 मई को समाप्त हो गई, जिस पर सभी ने जल्द से जल्द घर भेज दिए जाने का आग्रह किया। लोकसभा अध्यक्ष ने पहल करते हुए बूंदी, दौसा व चित्तौड़गढ़ के श्रमिकों के लिए तीन अलग-अलग बसों की व्यवस्था की जिसमें सवार होकर यह सभी श्रमिक सोमवार रात अपने-अपने घर पहुंच गए। इनमें बूंदी जिले के 6,(बरूधन के 3, गादेगाल 2,डोला की झोपडियाॅ के 1) चित्तौड़गढ 8 तथा दौसा के 9 श्रमिक शामिल हैं। मध्यप्रदेश के 1 श्रमिक के लिए अलग से व्यवस्था की गई।

लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय के द्वारा अवगत करवाया गया कि चाहे श्रमिक देश के किसी भी राज्य में फंसे हों या विदेश में, वे हमारी जिम्मेदारी है। उनकी सहायता के लिए केन्द्र व सभी राज्यों की सरकारें तत्परता व गंभीरता से कार्य कर रही हैं। लाॅकडाउन के बाद स्थितियां चुनौतीपूर्ण हो गई थीं, लेकिन बांग्लादेश में फंसे इन श्रमिकांे ने धैर्य बनाए रखा तथा निरंतर संपर्क में रहे। इसकी का नतीजा है इनकी सुखद घर वापसी हो सकी। उन्होंने सभी श्रमिकों से आग्रह किया कि घर पहुंचने की व्याग्रता नहीं करें। घर पहुॅचाने के लिए सरकारें उचित और सुविधाजनक व्यवस्थाएं कर रही हैं।

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