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PM CARES FUND /जितने लोगों ने दान देना कुबूल किया उनकी मानें तो 69 दिन में फंड में 9690 करोड़ रु आए


  • कोरोना महामारी से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड बनाया था

  • सरकारी संस्थाओं से 5349 करोड़ और निजी संस्थाओं से 4223 करोड़ मिले

  • सबसे ज्यादा डोनेशन टाटा ने दिया, टाटा सन्स ने 500 और टाटा ट्रस्ट ने 1 हजार करोड़ दिए, बॉलीवुड से 40 करोड़ रुपए से भी कम मिले

नई दिल्ली. ये पहला मौका है जब किसी आपदा के वक्त देश के नाम दान प्रधानमंत्री राहत कोष में मंगवाने के बजाए एक नया फंड बनाकर उसमें मंगवाया जा रहा है। इसे नाम दिया है पीएम केयर्स फंड।

इस फंड में कितना पैसा आ रहा है और उसे कहां खर्च किया जा रहा है इसका हिसाब किताब पब्लिक नहीं है। जब सूचना के अधिकार कानून के तहत इस फंड से जुड़ी जानकारी मांगी गई तो मालूम हुआ ये आरटीआई के दायरे में नहीं आता।

कोरोनावायरस से लड़ने के लिए बनाए गए ‘पीएम केयर्स फंड' पर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल गांधी तो इसका ऑडिट करवाने की मांग तक कर चुके है।

इससे जुड़े कुछ सवाल हैं। जिनके जवाब देने वाला कोई नहीं। सबसे बड़ा ये कि जब पहले से ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी पीएमएनआरएफ था, तो नया फंड बनाने की जरूरत क्या थी?

28 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड का ऐलान किया था, ताकि कोरोना से लड़ने के लिए लोग अपनी इच्छा से डोनेट कर सकें। लेकिन, तीन दिन बाद ही 1 अप्रैल को ही एक आरटीआई दाखिल हुई, जिसमें इस फंड से जुड़ी सभी जानकारी मांगी गई।

आरटीआई दाखिल होने के बाद 30 दिन के भीतर ही उसका जवाब देना जरूरी है। लेकिन, यहां इसमें भी देरी हुई। 29 मई को पीएमओ ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ‘पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है, लिहाजा इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती।'

इसके बाद हमने पीएम केयर्स फंड को कितना डोनेशन मिला? इसके लिए 28 मार्च के बाद से 4 जून तक की सारी मीडिया रिपोर्ट्स खंगाली। इसमें पता चला कि इन 69 दिनों में इस फंड को कम से कम 9690 करोड़ रुपए तो मिले ही हैं।

हालांकि, बहुत सारी संस्थाएं और सेलेब्रिटी ऐसे भी थे, जिन्होंने पीएम केयर्स फंड में डोनेशन तो दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि कितना डोनेट किया है। इसमें आम लोगों के डोनेशन की भी जानकारी नहीं है।

इसमें सिर्फ वही जानकारी पता चल सकी, जो मीडिया में आ सकी।


पीएम केयर्स फंड में कहां से कितना पैसा आया? इस फंड में 28 मार्च के बाद से 4 जून तक 9690.07 करोड़ रुपए का डोनेशन आ चुका है। ये डोनेशन बॉलीवुड सेलेब्रिटी, प्राइवेट कंपनियां, प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों, सरकारी संस्थाएं, केंद्र मंत्रालय के अधीन आने वाली कंपनियां या संस्थाएं, सरकारी कर्मचारियों, खेल संस्थाएं और खिलाड़ियों, कुछ एनजीओ और कुछ लोगों से मिला है।

इसमें से भी सबसे ज्यादा 5349 करोड़ रुपए सरकारी संस्थाओं, सरकारी कर्मचारियों की एक दिन की तनख्वाह से मिले हैं। जबकि, निजी संस्थाओं और कॉर्पोरेट और कारोबारियों से 4223 करोड़ रुपए से ज्यादा का डोनेशन आया है।

पीएम केयर्स फंड में 60% डोनेशन सिर्फ 10 जगहों से कोविड-19 से लड़ने के लिए बनाए गए इस फंड में 60% डोनेशन अकेले 10 जगहों से ही आया है। सबसे ज्यादा 1500 करोड़ रुपए का डोनेशन टाटा सन्स और टाटा ट्रस्ट ने दिया है। टाटा सन्स ने 500 करोड़ और टाटा ट्रस्ट ने 1 हजार करोड़ रुपए दिए हैं।

उसके बाद ऊर्जा मंत्रालय की अधीन संस्थाएं, कंपनियों की तरफ से 925 करोड़ रुपए का डोनेशन मिला है। जबकि, रक्षा मंत्रालय की तरफ से 500 करोड़ रुपए मिले हैं।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने तो एक साल तक हर महीने 50 हजार रुपए पीएम केयर्स फंड में देने का फैसला किया है।

पीएम केयर्स फंड से अभी सिर्फ 3100 करोड़ रुपए खर्च

13 मई को पीएमओ की तरफ से बताया गया कि पीएम केयर्स फंड में आए डोनेशन से 3100 करोड़ रुपए रिलीज किए गए हैं। इनमें से 2 हजार करोड़ रुपए से 50 हजार मेड इन इंडिया वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे। जबकि, बाकी के हजार करोड़ रुपए प्रवासी मजदूरों और 100 करोड़ रुपए वैक्सीन की रिसर्च पर खर्च होंगे।

तो फिर पीएमएनआरएफ क्या है? आजादी के बाद बंटवारे में पाकिस्तान से भारत लौट रहे लोगों की मदद के लिए जनवरी 1948 में उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लोगों की अपील पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी प्राइम मिनिस्टर नेशनल रिलीफ फंड बनाया था

लेकिन, अब इस फंड के पैसों का इस्तेमाल बाढ़, तूफान, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिजनों या बड़ी दुर्घटनाओं या दंगों के पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए होता है।

ये फंड पूरी तरह से जनता के पैसों से ही बना है और इसमें सरकार किसी भी तरह से कोई सहायता नहीं करती यानी सरकार की तरफ से इस फंड में कुछ नहीं दिया जाता।

पीएमएनआरएफ की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, 16 दिसंबर 2019 तक इसमें 3 हजार 800 करोड़ रुपए जमा थे। वित्त वर्ष 2018-19 में इस फंड में 738.18 करोड़ रुपए आए थे, जिसमें से सरकार ने 212.50 करोड़ रुपए ही खर्च किए थे।


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