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प्रदेश की बहुएँ भेदभाव का शिकार - नहीं मिल रहा आरक्षण का अधिकार


अन्य राज्य से राजस्थान में विवाहित आरक्षित वर्ग की महिलाओं के सामने गंभीर समस्या



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चूरू : अन्य राज्य से राजस्थान में विवाहित आरक्षित वर्ग की महिलाएं इन दिनों एक गंभीर समस्या का सामना कर रहीं हैं | अन्य राज्य में आरक्षित एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग में जन्म लेने व राजस्थान में उसी आरक्षित वर्ग के युवाओं से शादी के बावजूद इन्हें 'प्रवासी' कहकर सरकारी नौकरी में आरक्षण के लाभ से वँचित किया जाने लगा है | प्रदेश के आरक्षित वर्ग के युवाओं से विवाहित इन महिलाओं की संख्या लाखों में है | सीमावर्ती जिले चूरू, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, झुंझुनू, अलवर, धौलपुर, भरतपुर, करौली, प्रतापगढ़, उदयपुर, झालावाड़,पाली, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर में निकटवर्ती अन्य राज्यों से विवाहित इन महिलाओं का बड़ा तबका इस समस्या से प्रभावित है | एएनएम, जीएनएम, पीटीआई तथा रीट भर्ती में इन महिलाओं को यहाँ का मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र होने के बावजूद भी आरक्षित वर्ग में नियुक्ति नहीं दी गई | राजस्थान में शादी होने की वजह से जन्म वाले राज्य (मायके) में इनके मूल निवास व जाति प्रमाण पत्र पहले ही निरस्त हो चुके हैं | सीमावर्ती क्षेत्र की समस्याओं के कानूनी समाधान के लिए प्रयासरत चूरू के एडवोकेट हरदीप सुन्दरिया के अनुसार बजट सत्र में मामला राजस्थान विधानसभा में भी उठ चुका है | विवाह के आधार पर ये महिलाएं प्रदेश की मूल निवासी बन चुकी हैं | इन्हें *प्रवासी* कहकर आरक्षण के अधिकार से वँचित करना न्यायसंगत नहीं है | उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकार को इस संबंध में यथाशीघ्र सकारात्मक कदम उठाने चाहिए |

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