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कैबिनेट की सिफारिश, राज्‍यपाल 31 जुलाई को ही बुलाएं विधानसभा सत्र


जयपुर, 28 जुलाई । राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार फिलहाल राज्यपाल कलराज मिश्र से टकराव कम करने के प्रयास में दिखाई नहीं दे रही है। मंगलवार को कैबिनेट ने एक बार फिर 31 जुलाई को ही विधानसभा सत्र आहूत करने की सिफारिश राज्यपाल को भेज दी है।


कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर पत्रकारों को बताया कि कैबिनेट ने राज्यपाल द्वारा सरकार को भेजे गए पत्र में उठाए गए सभी सवालों का जवाब देते हुए एक बार फिर 31 जुलाई से ही सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने विधानसभा में व्यवस्था संबंधी जो प्रश्न उठाया है, वह सही नहीं है क्योंकि यह देखने का काम बिजनेस एडवाइजरी कमेटी और विधानसभा अध्यक्ष का है, लेकिन हम राज्यपाल से कोई टकराव नहीं चाहते हैं। हमारी राज्यपाल से कोई नाराजगी नहीं है और राज्यपाल हमारे मुखिया हैं, इसलिए उनके मान-सम्मान में हमने एक बार फिर उनके पत्र में उठाए गए बिंदुओं का जवाब भेजा है।


उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने अपने पत्र में 21 दिन बाद सत्र बुलाने की कोई गारंटी नहीं दी है। उन्होंने अपने पत्र में ऐसी कोई तारीख नहीं दी है तो हम यह कैसे विश्वास कर ले कि राज्यपाल हमारे 21 दिन के प्रस्ताव पर सत्र बुला ही लेंगे। दस दिन तो अब भी गुजर गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्यपाल के माध्यम से केवल फुटबॉल का खेल खेलना चाहती है और राज्यपाल पर दबाव बनाकर इस राजनीतिक संकट को और गहराना चाहती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के साथ-साथ महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ की सरकारे भी केंद्र सरकार के निशाने पर हैं।


खाचरियावास ने कहा कि हम राज्‍यपाल से कोई टकराव या प्रतिस्पर्धा नहीं चाहते हैं। संविधान के अनुच्छेद 163 में साफ लिखा है कि राज्यपाल केबिनेट की सिफारिश को नामंजूर नहीं कर सकते हैं, उनके सिफारिश लौटाने के बावजूद हम राज्यपाल को फिर संशोधन सिफारिश भेज रहे है, यदि राज्यपाल इसे भी नामंजूर करते हैं तो फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश सरकार आगे की रणनीति तय करेगी।


उल्‍लेखनीय है कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल की ओर से 25 जुलाई को राजभवन भेजे गए 31 जुलाई से सत्र आहूत करने के संशोधित प्रस्ताव को सोमवार को कुछ बिंदुओं के साथ संसदीय कार्य विभाग को लौटा दिया था। इसमें राज्यपाल की ओर से कहा गया था कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। राजभवन ने स्पष्ट किया था कि राजभवन की विधानसभा सत्र नहीं बुलाने की कोई मंशा नहीं है। इससे पहले शुक्रवार को भी राज्यपाल ने सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं पर कार्यवाही के निर्देश के साथ लौटाया था।

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