अपने खास नेताओं ने ही धोखा दिया सचिन को
- anwar hassan
- Jul 19, 2020
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इन दिनों प्रदेश कांग्रेस में भी देखने को मिल रही है, जब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के विश्वस्त माने जाने वाले नेताओं ने ही पाला बदलते हुए उन्हें बीच मझधार में छोड़ दिया।
हालांकि ऐसे कई नेता है जिन्हें राजनीति में सचिन पायलट ने तमाम विरोध के बावजूद आगे बढ़ाया और स्थापित किया, इन्हीं में से तीन प्रमुख नेता ऐसे भी हैं जिन्हें सचिन पायलट ने सत्ता और संगठन में अहम पद दिलवाने में बड़ी भूमिका अदा की। इनमें रघु शर्मा गोविंद सिंह डोटासरा और प्रताप सिंह खाचरियावास का नाम भी प्रमुख रूप से लिया जा रहा है।
सूत्रों की माने तो इन नेताओं के पाला बदलने की चर्चाएं कांग्रेस गलियारों में खूब हैं ।
रघु शर्मा दरअसल 2014 के बाद से ही कांग्रेस नेता रघु शर्मा हाशिए पर चल रहे थे। लेकिन पीसीसी चीफ रहे सचिन पायलट ने अपने कार्यकाल में रघु शर्मा को ना केवल अजमेर लोकसभा उपचुनाव में टिकट दिलवाया , बल्कि कड़ी मेहनत करके उन्हें सांसद चुनाव जिताकर लोकसभा भेजा और जब प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव हुए तो उन्हें कांग्रेस कैंपेन कमेटी का प्रमुख भी बनवाया।
हालांकि इसके बाद रघु शर्मा का राजनीतिक कैरियर पटरी पर दौड़ने लगा और धीरे धीरे रघु शर्मा शर्मा की निष्ठा पायलट से दूर होती चली गई इसके बाद रघु शर्मा प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के जरिए वापस गहलोत खेमे में शामिल हो गए।
प्रताप सिंह खाचरियावास प्रताप सिंह खाचरियावास को लेकर कांग्रेस हलकों में चर्चा है कि जयपुर की राजनीति में खाचरियावास को एक मजबूत नेता के तौर पर स्थापित करने में पायलट ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।सचिन पायलट ने प्रताप सिंह खाचरियावास को अपनी प्रदेश कार्यकारिणी में प्रदेश प्रवक्ता और जयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना कर जयपुर की राजनीति में मजबूत किया।इसके अलावा सिविल लाइंस क्षेत्र से टिकट दिलवाने और गहलोत मंत्रिमंडल में कैबिनेट मिनिस्टर जैसा प्रमुख पद दिलवाने में भी पायलट का अहम रोल रहा ।
कई ऐसे मौके भी आए जब खाचरियावास पायलट कैंप के साथ खड़े नजर आए लेकिन जनवरी 2020 के बाद से ही धीरे-धीरे खाचरियावास मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैम्प से जुड़ते चले गए,इसी के चलते माना जा रहा है कि सचिन पायलट ने उन पर विश्वास करना छोड़ दिया था।
गोविंद सिंह डोटासरा
महज 15 साल के राजनीतिक कैरियर में प्रधान पद से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनना बहुत ही कम लोगों को नसीब हो पाया है ,गोविंद सिंह डोटासरा उनमें से एक हैं । गोविंद सिंह डोटासरा को भी कांग्रेस में स्थापित करने में सचिन पायलट का अहम रोल माना गया है।
2013 के विधानसभा चुनाव में महज 21 सीटों पर समेटने के बाद सचिन पायलट ने दिल्ली के अपने संपर्कों के जरिए गोविंद सिंह डोटासरा को विधानसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया जबकि इसके लिए पायलट को शेखावटी के दिग्गज नेता चौधरी नारायण सिंह की नाराजगी भी मोल लेनी पड़ी थी।
पायलट ने 2018 के विधानसभा चुनाव में डोटासरा को कांग्रेस मीडिया कमेटी का प्रमुख बनाया तो विधानसभा चुनाव के बाद गहलोत मंत्रिमंडल में मंत्री बनवाने में भी पायलट का बड़ा रोल रहा लेकिन अब बदले हालातों में यह तीनों में नेता ही पायलट के खिलाफ सबसे ज्यादा मोर्चा खोले हुए हैं।
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