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हमारे कर्म तय करते हैं कि कब ! कैसे ! क्या ! मिलना है


*कहानी*

एक धनाढ्य भक्त जिनालय गया !

पैरों में महँगे और नये जूते होने पर उसने सोचा कि क्या करूँ ?यदि बाहर उतार कर जाता हूँ तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा सारा ध्यान जूतों पर ही रहेगा तभी उसे बाहर एक भिखारी बैठा दिखाई देता है !

वह धनिक भिखारी से कहता है -भाई मेरे जूतों का ध्यान रखोगे ? जब तक मैं पूजा करके वापस न आ जाऊँ !भिखारी ने भी हाँ में सिर हिला दिया !

अंदर पूजा करते समय धनिक ने सोचा -हे प्रभु आपने यह कैसा असंतुलित संसार बनाया है ? किसी को इतना धन दिया है कि वह पैरों तक में महँगे जूते पहनता है तो किसी को अपना पेट भरने के लिये भीख तक माँगनी पड़ती है कितना अच्छा हो कि सभी एक समान हो जायें !

मन ही मन वह धनिक निश्चय करता है कि वह बाहर आकर भिखारी को 100 रुपये का एक नोट देगा लेकिन बाहर आकर वह धनिक देखता है कि वहाँ न तो वह भिखारी है और न ही उसके जूते !

धनिक ठगा सा महसूस करता है एवं कुछ देर भिखारी का इंतजार भी करता है कि शायद वह किसी काम से कहीं चला गया हो ;पर काफी समय उपरांत भी वह वापिस नहीं आया !

धनिक दुखी मन से नंगे पैर घर के लिये चल देता है,रास्ते में फुटपाथ पर देखता है कि एक आदमी जूते चप्पल बेच रहा है ! धनिक चप्पल खरीदने के उद्देश्य से वहाँ पहुँचता है पर क्या देखता है कि उसके जूते भी वहाँ रखे हैं !

धनिक दबाव डालकर उससे जूतों के बारे में पूछता है तो वह आदमी बताता है कि एक भिखारी उन जूतों को 100 रुपये में बेच गया है !

धनिक वहीं खड़े होकर कुछ सोचता है और मुस्कराते हुए नंगे पैर ही घर के लिये चल देता है ! धनिक को उसके सवालों के जवाब मिल गये थे कि समाज में कभी एकरूपता नहीं आ सकती क्योंकि हमारे कर्म कभी भी एक समान नहीं हो सकते और जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन समाज-संसार की सारी विषमतायें समाप्त हो जायेंगी ! हर एक प्राणी अपने कर्मो के फल के अनुसार ही भोगता है यह हमारे कर्म तय करते हैं कि कब कैसे क्या मिलना है, जैसे कि भिखारी के लिये उस दिन तय था कि उसे 100 रुपये मिलेंगे पर कैसे मिलेंगे यह उस भिखारी के कर्म फल ने तय किया !

हमारे कर्म ही हमारा भाग्य, यश, अपयश, लाभ, हानि, जय, पराजय, सुख, दुःख, शोक, लोक, परलोक इत्यादि तय करते हैं हम इसके लिये ईश्वर को दोषी नहीं ठहरा सकते !

अतः अपने कर्मो को सही दिशा प्रदान कीजियेगा सत्कर्मो की पूंजी इकठ्ठा कीजियेगा और डट कर भगवान का नाम जपियेगा इसी में हमारा परम कल्याण निहित है !

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