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कैसा दिखेगा आगामी सूर्यग्रहण जानिए


नई दिल्ली, 16 जून । देश में 21 जून, 2020 को वलयाकार सूर्यग्रहण घटित होगा। भारत के उत्तरी भाग के कुछ स्थानों राजस्थान, हरियाणा व उत्तराखंड आदि के संकीर्ण गलियारे में प्रातः ग्रहण की वलयाकार अवस्था दिखाई देगी, जबकि शेष भाग में यह आंशिक सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा।


ग्रहण के संकीर्ण वलय पथ में स्थित रहने वाले कुछ प्रमुख स्थानों में देहरादून, कुरुक्षेत्र, चमोली, जोशीमठ, सिरसा, सूरतगढ़ आदि प्रमुख हैं। वलयाकार ग्रहण की अधिकतम अवस्था के समय भारत में चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन लगभग 98.6% होगा। आंशिक ग्रहण की अधिकतम अवस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन दिल्ली में लगभग 94%, गुवाहाटी में 80%, पटना में 78%, सिलचर में 75%, कोलकाता में 66%, मुम्बई में 62%, बंगलोर में 37%, चेन्नै में 34%, पोर्ट ब्लेयर में 28% आदि होगा ।


ग्रहण की आंशिक प्रावस्था भारतीय मानक समय (भामास) अनुसार 9 बजकर 16 मि. पर प्रारम्भ होगी। वलयाकार अवस्था भामास अनुसार 10 बजकर 19 मिनट पर प्रारम्भ होगी और 14 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगी। आंशिक प्रावस्था 15 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी।वलयाकार पथ कोंगो, सुडान, इथियोपिया, यमन, साउदी अरब, ओमान, पाकिस्तान सहित भारत एवं चीन के उत्तरी भागों से होकर गुजरेगा। चंद्रमा की प्रच्छाया से आंशिक ग्रहण होता है जो कि अफ्रीका (पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्सेको छोड़कर), दक्षिण व पूर्व यूरोप, एशिया (उत्तर एवं पूर्व रूस को छोड़कर) तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी हिस्सों के क्षेत्रों में दिखाई देगा । सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन तब घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आ जाता है तथा ये तीनों एक ही सीध में होते हैं।


वलयाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य के कोणीय व्यास की अपेक्षा छोटा होता है जिसके परिणामस्वरूप चंद्रमा सूर्य को पूर्णतया ढक नहीं पाता है। ऐसे में चंद्रमा के चतुर्दिक सूर्य चक्रिका का छल्ला दिखाई देता है। ग्रहण ग्रस्त सूर्य को थोड़े समय के लिए भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूर्य के अधिकतम भाग को चंद्रमा ढक ले तब भी ग्रहण ग्रस्त सूर्य को न देखें अन्यथा इससे आंखों को स्थाई नुकसान हो सकता है जिससे अंधापन हो सकता है।

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