सूर्यग्रहण: राजस्थान में भी सोने के कंगन सा दिखेगा सूर्य
- Rajesh Jain
- Jun 17, 2020
- 3 min read

भोपाल, 17 जून । विश्व योग दिवस के अवसर पर आगामी 21 जून को जब पूरा देश योग के विभिन्न अभ्यास करेगा, उसी समय आसमान में एक खगोलीय घटना होगी। सनडे को जब आकाश में सन साल की सबसे लंबी अवधि 13 घंटे 31 मिनट और 44 सेकंड तक दिखने जा रहा है, तब चंद्रमा लगभग 3 घंटे 33 मिनट तक उसके सामने आकर बाधक बनेगा। चंद्रमा उस समय पृथ्वी से दूर होगा, इसलिये सूर्य के बीच के भाग को तो ढंक लेगा, लेकिन आसपास का भाग कंगन की तरह चमकता दिखेगा।
भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड विजेता विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बुधवार को बताया कि वलयाकार सूर्यग्रहण (एन्यूलर सोलर इकलिप्स) की इस खगोलीय घटना में सूर्य के चमकते कंगन सा मनोरम दृश्य राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड के कुछ शहरों व ग्रामों से देखने को मिलेगा। वलयाकारिता की अवधि लगभग 30 सेकंड रहेगी।
उन्होंने बताया कि 21 जून का वलयाकार सूर्यग्रहण मध्य अफ्रीकी गणराज्य में उगते हुए सूरज से शुरू होकर आगे कांगो, इथियोपिया, यमन, सऊदी अरब, ओमान, पाकिस्तान, भारत, चीन और ताइवान से देखने को मिलेगा। यह दक्षिण प्रशांत महासागर में शाम को समाप्त होगा। सारिका ने बताया कि इस दिन उत्तर भारत के केवल चार राज्य, अर्थात राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का हिस्सा इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को देख सकेंगे।
उन्होंने बताया कि भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण की शुरुआत पश्चिम राजस्थान से होगी, और इसे देखने वाला पहला शहर घरसाना है। भारतीय समय के अनुसार, पहला संपर्क 10 बजकर 12 मिनट और 26 सेकंड पर शुरू होगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण राजस्थान के अनूपगढ़, श्रीविजयनगर, सूरतगढ़ और एलेनाबाद से होते हुए हरियाणा के सिरसा, रतिया (फतेहाबाद), जाखल, पिहोवा, कुरुक्षेत्र, लाडवा, यमुनानगर से जगदरी और फिर उत्तर प्रदेश के बेहट जिले से गुजरेगा। वलयाकार ग्रहण उत्तराखंड के देहरादून, चंबा, टिहरी, अगस्त्यमुनि, चमोली, गोपेश्वर, पीपलकोटी, तपोवन तथा जोशीमठ से देखने को मिलेगा। जोशीमठ भारत का अंतिम स्थान है जहाँ से ग्रहण देखा जा सकेगा। जोशीमठ में 10 बजकर 27 मिनट और 43 सेकंड को ग्रहण का पहला संपर्क होगा
हरियाणा-उत्तराखंड में चमचमाते कंगन की रूप में, शेष भारत में हंसियाकार दिखेगा सूर्य
सारिका घारू ने बताया कि हरियाणा और उत्तराखंड में तो सूर्य को चमचमाते कंगन के रूप में देखा जा सकेगा, लेकिन मध्यप्रदेश के अन्य शहरों के साथ भोपाल में खंडग्रास सूर्यग्रहण सुबह 10.14 से आरंभ होकर दोपहर 01.47 तक चलेगा। यहां 3 घंटे 33 मिनट के ग्रहण के दौरान अधिकतम स्थिति में 11.57 बजे सूर्य का 79 प्रतिशत भाग चंद्रमा के पीछे छिप जायेगा।
उन्होंने बताया कि आवागमन की दृष्टि से कंगनाकार सूर्यग्रहण देखे जाने के लिये दिल्ली से 160 किमी उत्तर में स्थित कुरुक्षेत्र उपयुक्त स्थल है, जहां सुबह 10.21 बजे से दोपहर 01.47 बजे तक तक चलने वाले ग्रहण के दौरान लगभग 12 बजे 27 सेकंड के लिये यह चमचमाते कंगन के रूप में दिखने लगेगा। इसके अलावा, उत्तराखंड के पर्यटक स्थल देहरादून से भी 9 सेकंड के लिये वलयाकार सूर्य को देखा जा सकेगा।
अगले एन्यूलर सोलर इकलिप्स के लिये करना होगा 11 साल इंतजार उन्होंने बताया कि 21 जून को साल के सबसे लम्बी अवधि की दिन में होने वाली इस खगोलीय घटना को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित सोलर व्यूअर की मदद से देखा जा सकेगा। सोलर फिल्टर लगे टेलिस्कोप से भी इसे देखा जा सकेगा। इसके बाद भारत में अगला वलयाकार सूर्य ग्रहण को 21 मई 2031 को पड़ेगा। यानी इसे देखने के लिए हमें 11 साल इंतजार करना होगा।
भोपाल में आंशिक सूर्यग्रहण का समयग्रहण आरंभ - सुबह 10.14 बजेअधिकतम ग्रहण - अपरान्ह 11.57 बजेग्रहण समाप्त -- दोपहर 01.47 बजे कुल ग्रहण अवधि - 3 घंटे 33 मिनटसूर्य का ढ़ंका भाग - 79 प्रतिशतवलयाकार स्थिति की अवधि - मप्र में वलयाकार ग्रहण नहीं होगा
कुरूक्षेत्र में वलयाकार सूर्यग्रहण का समयग्रहण आरंभ - सुबह 10.21 बजे अधिकतम ग्रहण वलयाकार ग्रहण - दोपह 12.01 बजेग्रहण समाप्त - दोपहर 01.47 बजेकुल ग्रहण अवधि - 3 घंटे 26 मिनटवलयाकार स्थिति की अवधि - 27 सेकंड
देहरादून में वलयाकार सूर्यग्रहण का समयग्रहण आरंभ - सुबह 10.24 बजेअधिकतम ग्रहण वलयाकार ग्रहण - दोपहर 12.05 बजेग्रहण समाप्त - बजे 01.50 बजेकुल ग्रहण अवधि - 3 घंटे 26 मिनटवलयाकार स्थिति की अवधि - 9 सेकंड























































































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