फर्जी आईआरएस अधिकारी ठग गिरोह का भंडाफोड़, दो कथित पत्रकार भी पकड़े
- Rajesh Jain
- Jun 13, 2020
- 3 min read


- यूपी के साथ दिल्ली सहित अन्य राज्यों तक फैला था ठग गिरोह का नेटवर्क, गिरोह में शामिल दो कथित पत्रकारों भी गए पकड़े
#इटावा, 13 जून । उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद में थाना सिविल लाइन पुलिस और क्राइम ब्रांच टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर फर्जी आईआरएस अधिकारी बनकर लोगों से धन उगाही करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। पुलिस ने फर्जी आईआरएस अधिकारी और दो कथित पत्रकारों समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार शातिरों के पास से केंद्र सरकार का फर्जी आईडी कार्ड, नीली बत्ती लगी लग्जरी कार समेत भारी मात्रा में हथियार और दस्तावेज बरामद किए हैं।
#वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने शनिवार को फर्जी आईआरएस अधिकारी गिरोह का भंडाफोड़ किया। उन्होंने बताया कि एक दिन पूर्व बीते शुक्रवार को थाना सिविल लाइन पुलिस और क्राइम ब्रांच टीम संयुक्त रूप से वाहन चेकिंग कर रही थी, तभी पुलिस सूचना मिली कि नीली बत्ती लगी इनोवा कार लुहन्ना चौराहा से शहर की तरफ आ रही है जिसमें पांच लोग सवार थे। कार सवार लोग बीते कुछ समय से आम जनता को नौकरी आदि का झांसा देकर पैसे ठगने का आपराधिक कृत्य कर रहे हैं। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने लूहन्ना चौराहा की और से एक नीली बत्ती लगी कार आती हुई दिखाई दी, जिसे पुलिस टीम द्वारा टॉर्च की रोशनी दिखाकर रोकने का प्रयास किया। पुलिस को देख कार सवारों द्वारा गाड़ी रोककर भागने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्हें पुलिस टीम द्वारा आवश्यक बल प्रयोग कर घेराबन्दी करके पकड़ लिया गया। शक के आधार पर तलाशी लेने पर कार में उपायुक्त विजिलेंस अधिकारी का फर्जी आईडी कार्ड, भारी मात्रा में फैक्ट्री मेड रायफल, कई न्यूज चैनलों की आईडी, फर्जी मोहरें समेत कई अन्य दस्तावेज बरामद हुए।
#हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ के लिए पांचों को थाने ले आई। जहां गहन पूछताछ में पकड़े गए लोगों ने अपना नाम मनीष कुमार पुत्र रामप्रकाश निवासी जगसौरा इटावा (फर्जी आईआरएस अधिकारी), योगेश कुमार पुत्र सतीश निवासी जनपद अमरोहा (ड्राइवर), बलवंत कुमार खरवार पुत्र मदन खरवार निवासी रामगढ़ बिहार (गनर), रामकुमार पुत्र छोटेलाल निवासी बीलमपुर थाना इकदिल इटावा (कथित पत्रकार) व सौरभ चौहान पुत्र देवेन्द्र चौहान निवासी पक्का बाग इटावा (कथित पत्रकार) बताए।
यूपी के अलावा दिल्ली तक फैला का गिरोह का नेटवर्क
पुलिस ने जब सख्ती से इन लोगों से पूछताछ की तो फर्जी अधिकारी बन घूम रहे अभियुक्त मनीष कुमार ने बताया कि वह बीते दो—तीन वर्षों लगातार आईआरएस और आईपीएस अधिकारी बनकर दिल्ली, नोयडा, गाजियाबाद, इटावा व प्रदेश के अन्य जनपदों में विजिलेंस अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने का काम करता है। उसने बताया कि वह स्वयं ही किसी भी व्यक्ति के खिलाफ आईजीआरएस शिकायत डालकर स्वयं ही सरकार की और से जांच टीम बनकर व्यक्ति को ब्लैकमेल करके ठगने का काम करता है। उसने यह भी बताया कि वह अपने साथ कथित टीवी चैनल के पत्रकार मित्रों को रखता था, जिसके जरिये किसी भी व्यक्ति को ब्लैकमेल कर आसानी से ठगी की जा सके। इसके साथ ही काम करवाने के लिए किसी भी अधिकारी पर दबाव भी बनाया जा सके।
मास्टर माइंट बैंक लोन धोखाधड़ी में हुआ था बर्खास्त पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि उक्त फर्जी अधिकारी मनीष (मास्टर माइंड) सिंडिकेट बैंक में पीओ कर्मचारी था, जिसे बैंक द्वारा लोन धोखाधड़ी में बर्खास्त कर दिया गया था। उसके बाद से वह फर्जी आईआरएस अधिकारी बनकर ठगी करने का गिरोह तैयार किया और उसमें कथित पत्रकारों को भी शामिल कर लिया। रौब गांठने के लिए गनर को गिरोह में असहले के साथ रखा जाता था। उसके द्वारा खुद को अधिकारी के तौर पर दिखाने के लिए फर्जी आईडी कार्ड और फर्जी बेवसाइट भी बनाई गई है। एसएसपी ने बताया कि गिरफ्तार लोगों के पास से नीली बत्ती लगी कार, फर्जी आईकार्ड, भारी मात्रा में हथियार, न्यूज चैनलों की माइक व आईडी सहित कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। फर्जी आईआरएस ठग गिरोह के सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जेल भेजने की कार्यवाही की जा रही है।























































































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