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अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के आगौश में धकेला ?


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(भंवरलाल ठाकुर) झालावाड़ 26 अप्रेल। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के एस.आर.जी. अस्पताल के प्रशासन की लापरवाही ने मेडि़कल कॉलेज के श्रीमति हीरा बां कुंवर जनाना अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों रेजीडेंट चिकित्सकों, कम्पाउण्डऱों एवं वाडऱ् ब्वाय आदि स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के आगौश में धकेल दिया है।  प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के सम्पूर्ण देश में पैर पसारने के बाद झालावाड़ के जनाना अस्पताल में मध्यप्रदेश के आगर-सुसनेर से कोरोना से संक्रमित एक व्यक्ति अपनी बेटी के ईलाज हेतु मध्यप्रदेश में ही कोरोना जांच हेतु सैम्पल देकर झालावाड़ जनाना अस्पताल के शिशु चिकित्सकों को दिखाने आया था। जिसके बाद बेटी को गम्भीर बीमारी होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका था। लेकिन इसईलाज के दौरान मृतका के कोरोना संक्रमित पिता से अस्पताल का एक रेजीडेंट डॉक्टर संक्रमित हो गया था। बाद में जब वह व्यक्ति अपनी मृतक बेटी को लेकर मध्यप्रदेश पहुंचा तो वहां पर उस व्यक्ति पूर्व में दिये गये सैम्पल की जांच कोरोना पॉजिटिव निकली उसके बाद तत्काल मध्यप्रदेश चिकित्सा प्रशासन ने उस कोरोना संक्रमित व्यक्ति द्वारा जानकारी जुटाई और इस दौरान उसके झालावाड़ अस्पताल में ईलाज हेतु आना पाया गया तो मध्यप्रदेश के प्रशासन ने झालावाड़ अस्पताल प्रशासन को सूचित किया उसके बाद झालावाड़ अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल के शिशु विभाग में कार्यरत उक्त रेजीडेंट डाक्टर सहित सभी स्वास्थ्य कर्मियों की कोरोना जांच हेतु 13 अप्रेल को सैम्पल लिये गये उस समय उन सभी की स्वास्थ्य कर्मियों कोरोना जांच नेगेटिव आई तो अस्पताल प्रशासन के आला अधिकारी ने उन सभी रेजीडेंट डाक्टर सहित स्वास्थ्य कर्मियों को कोरेन्टाईन सेन्टर में 14 दिन अपनी निगरानी में रखने के बजाय उन्हें होम आईसोलेशन हेतु अपने घरों पर भेज दिया यह अस्पताल प्रशासन की एक बड़ी गलती थी।  जानकार लोगों ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताई जानकारी के अनुसार उक्त रेजीडेंट डाक्टर को भी अस्पताल अधीक्षक ने कोरेन्टाईन सेन्टर में 14 दिन रखने के बजाय उसे भी मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल तक फ्री हेण्ड़ कर दिया जिसके चलते वह भी खुले रूप में अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में स्वच्छंद घूमता रहा उसने मैस में भी खाना खाया और अन्य स्टॉफ कर्मियों और रेजीडेंट डॉक्टरों को भी संक्रमित करता रहा लेकिन अस्पताल प्रशासन को खबर होते हुए भी वह बेखबर बना रहा। जानकारों का कहना है कि कोरोना के लक्षण कभी देरी से भी आते है जिसका नजीता यह निकला की उक्त रेंजीडेंट चिकित्सक सहित अन्य स्टॉफ कादिनांक 23-24 अप्रेल को जब दूसरी बार कोरोना का सैम्पल लेकर जांच की गई तो उसमें चार स्वास्थ्य कर्मी पॉजीटिव निकले उसमें उक्त रेजीडेंट डाक्टर भी कोरोना संक्रमित निकला। उसके बाद पॉजीटिव चिकित्सा कर्मियों की जानकारी के आधार पर चिकित्सा कर्मियों एवं रेजीडेंट डाक्टरों के सैम्पल लिये गये तो 6 अन्य रेजीडेंट डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों सहित लगभग 11 व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाये गये। जिनमें झालावाड़, झालरापाटन एवं भगवानपुरा गांव का स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल है। इन सभी के पॉजिटिव आने के बाद जिला प्रशासन को झालावाड़, झालरापाटन में बड़ी संख्या में लोगों के सैम्पल लेकर जांच की जा रही है एवं इन क्षेत्रों में कफ्र्यू भी लगाया गया है।  अब अस्पताल प्रशासन की गलती से हालात यह हो गये है कि जनाना अस्पताल के सम्पूर्ण स्टॉफ सहित हॉस्टल एवं शहरों के लोगों को भी कोरेन्टाईन करना पड़ रहा है। उधर एक मजेदार बात यह भी सामने आ रही है स्वास्थ्य कर्मियों के पॉजिटिव आने के बाद सभी कोरोना पॉजिटिव रोगियों को कोरोना वाडऱ् में भर्ती किया जाना चाहिए था लेकिन उसमें भी भेदभाव किया जा रहा है। रेजीडेंट डाक्टरों को वीआईपी ट्रिटमेंट के तहत उन्हें मेडिकल कॉलेज के डीन के पुराने निवास में रखा गया है जबकि अन्य कोरोना संक्रमितों को कोरोना वाडऱ् में ही भर्ती किया हुआ है। जो सम्पूर्ण झालावाड़ शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।  इस सम्पूर्ण मामले में लोगों को कोरोनाटाईन करने में जहां सरकारी राजस्व की हानि होती है वहीं कफ्र्यूग्रस्त हॉट स्पॉट क्षेत्रों में लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। सारे लोग अब अपने आप को कोरोना संक्रमण के आगौश में जाने का खतरे से भयभीत है। वहीं पुलिस प्रशासन भी एक गलती से बेहद परेशान हो रहा है। जिले के चिकित्सा प्रशासन से जुड़े अधिकारी भी दबी जुबान में अस्पताल प्रशासन की गलती को स्वीकार करते है लेकिन खुलकर कोई बोलने से परहेज कर रहे है। इस मामले में हमनें अस्पताल प्रशासन से भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया ?

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