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अस्पतालों में नहीं हो रही डायलिसिस, मरीज परेशान


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कोटा। लॉकडाउन में आम आदमी ही नहीं, वरन कोटा व झालावाड़ जिले में डायलिसिस करवाने वाले किडनी मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। झालावाड़ जिले के अस्पतालों में डायलिसिस नहीं होने के कारण उन्हें कोटा व झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में आना पड़ रहा है। इससे उन्हें समय के साथ धन की बर्बादी हो रही है। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज की फिजिशियन डॉ. सुषमा पाण्डेय ने बताया कि अस्पताल में किडनी मरीजों के लिए 10 मशीनें लगी है। रोजाना 20 किडनी मरीजों की डायलिसिस हो रही। 1 डायलिसिस में 4 से साढ़े चार घंटे लगते हैं। अकलेरा व सुनेल अस्पतालों में पीपीई मोड पर डायलिसिस की सुविधा है। आसपास के किडनी मरीजों को अकलेरा व सुनेल आकर अपनी डायलिसिस करवा लेते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण अकलेरा में मशीनें बंद पड़ी है। स्टाफ की कमी से सुनेल में डायलिसिस नहीं हो पा रही। झालावाड़ नजदीक होने के कारण सुकेत, रामगंजमंडी तक के किडनी मरीज डायलिसिस के लिए यहां पहुंच रहे। इससे दुगुनी क्षमता से मशीनें चलानी पड़ रही है। निजी अस्पताल में भी नहीं हो रही डायलिसिस -तलवंडी स्थित सुधा अस्पताल के एम्बुलेंस चालक के कोरोना पॉजीटिव आने के बाद चिकित्सा विभाग ने फिलहाल 14 दिन के लिए रोक लगा रखी है। इससे यहां आने वाले डायलिसिस के मरीजों को परेशानी हो रही। सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों का लोड चल रहा है। उनकी सरकारी अस्पतालों में भी डायलिसिस नहीं हो पा रही। यहां विशेष अनुमति-नए अस्पताल में हैपेटाइटिस बी व सी मरीजों की डायलिसिस के लिए एक सप्ताह पहले कॉलेज प्रशासन ने अनुमति दी। उसके बाद यहां डायलिसिस की सुविधा शुरू हुई। रामपुरा जिला अस्पताल में संचालित डायलिसिस स्टाफ लॉकडाउन में झालावाड़ में फंस गया। उसका पास बनवाकर उसे कोटा बुलाया गया। उसके बाद यहां सुविधा शुरू हुई। इनका यह कहना-कोटा मेडिकल कॉलेज के नेफ्रॉलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खण्डेलिया ने बताया कि नए अस्पताल कोरोना आइसोलेट वार्ड बना रखा है। यहां के किडनी मरीजों की एमबीएस व रामपुरा जिला मुख्यालय में डायलिसिस की सुविधा कर रखी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की अनुमति के बाद नए अस्पताल में बी-सी हैपेटाइटिस मरीजों की डायलिसिस शुरू कर दी। अस्पतालों में मरीजों का ओवरलोड है। कहां क्या मुसीबत-झालावाड़ जिले अकलेरा के अस्पताल में पीपीई मोड पर डायलिसिस की सुविधा है, लेकिन वहां फिल्टर खत्म होने मशीनें बंद है। बिना फिल्टर के खून साफ नहीं होता। सुनेल अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण डायलिसिस नहीं हो पा रही है।

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