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अस्पतालों में सीजेरियन प्रसव बढ़े तो अब गाज गिरना तय


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जयपुर, 25 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना वायरस महामारी के बीच अब प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में भर्ती गर्भवती महिलाओं से जिले के अफसर यह पूछेंगे कि उनसे चिकित्सा कार्मिकों ने कितना नजराना लिया। इस बीच यह भी देखा जाएगा कि प्रदेश के किन चिकित्सा संस्थानों में सीजेरियन प्रसव तेजी से बढ़े हैं। अगर किन्हीं चिकित्सा संस्थानों में प्रसूताओं से नजराना लिया गया है या वहां सीजेरियन प्रसव बढ़े हैं तो संबंधित चिकित्सा संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने इस संबंध में परिपत्र जारी किया है। परिपत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी को पेन्डेमिक घोषित करने की स्थिति में राज्य की चिकित्सा सेवाओं पर प्रभाव पड़ा है। प्रदेश में कई स्थानों पर गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रसव के लिए महिलाएं सरकारी व निजी चिकित्सा संस्थानों में जाती है।  ऐसी भी शिकायतें मिल रही है कि कुछ निजी चिकित्सालय इस परिस्थिति का मानवता से परे जाकर प्रसूताओं के परिजनों से पीपीई किट तथा स्टॉफ के नाम पर अनावश्यक आर्थिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। सामान्य प्रसव को भी अति आवश्यक बताकर सीजेरियन प्रसव कराने की शिकायतें मिल रही है। जबकि, निजी चिकित्सालय एबी-एमजीआरएसबीवाय के तहत एनएफएसए तथा एसईसीसी श्रेणी के लाभार्थियों को निशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए अनुबंध के आधार पर प्रतिबद्ध है। साथ ही, अन्य लोगों से तय राशि अनुसार ही निर्धारित शुल्क लिया जा सकता है। सिंह ने सभी जिलास्तरीय अधिकारियों से इन शिकायतों के मद्देनजर निजी चिकित्सालयों को इसके लिए पाबंद करने के निर्देश दिए हैं। उन्हें कहा गया है कि रेंडम बेसिस पर निजी चिकित्सालयों में प्रसूताओं को यह पूछा जाए कि उनसे अनावश्यक राशि तो नहीं ली गई है। साथ ही, कोरोना वायरस के संक्रमण की अवधि में किन निजी अस्पतालों में सीजेरियन प्रसव की संख्या बढ़ी है। ऐसे प्रकरणों की तादाद बढ़ी हुई पाए जाने पर संबंधित निजी चिकित्सालय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

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