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कोटा में 158 में से 87 रोगियों की दूसरी रिपोर्ट आई नेगेटिव


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कोटा। कोरोना संक्रमण के लगातार फैलाव के कारण कोटा कोचिंग सिटी रेड जोन में आ गई। संक्रमण को लेकर लोगों में भय का माहौल है, लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर भी आई है। कोटा के डेडिकेट कोरोना अस्पताल में भर्ती कोरोना के कुल 148 पॉजिटिव मरीजों में से 87 मरीजों की दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसमें कोटा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर व स्टॉफ की मेहनत रंग लाई है। इनमें अधिकतर मरीज कोटा के भीमगंजमंडी क्षेत्र के तेलघर, मकबरा व झालवाड़ जिले के मरीज शामिल है। कोरोना संक्रमण का बेहतर इलाज होने से रोगियों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। इससे लोगों में दहशत भी कम हुई। सभी मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार है। कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि कोटा जिले में अब तक 148 कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं। इसमें 18 मरीज झालावाड़ जिले के शामिल हैं। इनमें से 87 कोरोना संक्रमित मरीजों की उपचार के बाद दो बार रिपोर्ट नेगेटिव आ गई है। इससे कॉलेज प्रशासन ने राहत की सांस ली है। अभी नेगेटिव आई रिपोर्ट वाले मरीजों को 14 दिन के लिए अस्पताल में ही क्वारंटाइन पर रखा है। ऐसे किया इलाज-कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉण् मनोज सालूजा ने बताया कि कोरोना पाजिटिव रोगियों में 80 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं थे। 20 प्रतिशत मरीजों में एक्सरे में फेफड़ों में संक्रमण पाया गया। 6 मरीजों को आईसीयू में रखा गया। प्रोटोकॉल के तहत पहले दिन से ही सभी पॉजिटिव रोगियों को एचसीक्यूएस व एजिप्रोमाइसिन दवा दी गई। आईसीयू में भर्ती रोगियों को रिटोनाविर दी गई। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एचसीक्यूएस के स्थान पर उनके वजन के अनुसार सेल्टामिविर दी गई। जिन रोगियों के फेफड़ों में रक्त संचार की रुकावट पाई गई, उन्हें हेपेरिंन नामक इंजेक्शन दिया गया। विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया कि यह दवाइयां शरीर में वायरस के लोड को कम करती है। जिसके परिणाम स्वरुप रिपोर्ट नेगेटिव आना शुरू हुई। तर्क यह भी सामने आया है कि जितना जल्द रोगी नेगेटिव होगा, संक्रमण उतना कम फैलाएगा।

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