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कश्मीर के लिए नई डोमिसाइल पॉलिसी जारी


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नई दिल्ली।

जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहने वाला व्यक्ति अब वहां का निवासी कहलाएगा। केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के बीच मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नए डोमिसाइल नियमों का ऐलान किया। सरकार की ओर से जारी गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 में सेक्शन 3ए जोड़ा गया है। इसके तहत राज्य/यूटी के निवासी होने की परिभाषा तय की गई है। जिस भी शख्स ने जम्मू-कश्मीर में 15 साल बिताए हैं या जिसने यहां सात साल पढ़ाई की और 10वीं-12वीं की परीक्षा यहीं के किसी स्थानीय संस्थान से दी, वह यहां का निवासी होगा।


5 अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर में संविधान की धारा 35ए के तहत तय होता था कि कौन व्यक्ति राज्य का निवासी है और कौन नहीं। इसी के साथ नौकरी और संपत्ति को लेकर स्वामित्व का निर्णय भी इसी धारा के तहत होता था। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को खत्म करते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्ज छीन लिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशो में बांट दिया था।


नई परिभाषा के तहत राज्य के निवासियों में वे लोग भी शामिल होंगे, "जो जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के अफसर, पब्लिक सेक्टर यूनियन (केंद्र सरकार या स्वायत्त संस्थान से जुड़ी कंपनी) के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, केंद्रीय यूनिवर्सिटी के अधिकारी और केंद्र सरकार के रिसर्च इंस्टीट्यूट में 10 साल सेवा दे चुके हैं। ऊपरी नियमों को पूरा करने वालों के बच्चे भी निवासियों की श्रेणी में रखे जाएंगे।


इसके साथ ही अब जम्मू-कश्मीर के निवासियों में उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा, जिन्हें राहत और पुनर्वास आयुक्त ने राज्य में शरणार्थी या अप्रवासी का दर्जा दिया होगा। नए कानून के तहत अब तहसीलदार डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए योग्य अधिकारी होगा। इससे पहले राज्य सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन के जरिए चिन्हित डिप्टी कमिश्नर ही यह जिम्मेदारी संभालता था। जम्मू-कश्मीर राज्य से जुड़े 29 कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। जबकि 109 कानूनों में संशोधन किया गया।

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