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लॉक डाउन ने किसानों की बदली जिंदगी


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कोटा। कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए किए गए लॉक डाउन के कारण किसानों के लिए थोक फल-सब्जी मंडी के दरवाजे बंद कर दिए। इस कारण किसान अपनी सब्जियां नहीं बेच पा रहे थे और खेतों मे ही सडऩे लग गई थी। अपने खून-पसीने की कमाई को खराब होता देखकर अन्नादाता सन्न रह गया, लेकिन हर चुनौती से हंसते-हंसते मुकाबला करने वाला अन्नदाता ने कठिन समय में भी अपनी डगर निकाल ली और अब लॉक डाउन में ही मोटर साइकिलों व सड़कों पर अस्थायी जगह ठीया लगाकर सब्जियां बेचने का काम शुरू कर दिया है। सब्जी उत्पादकों ने इस लॉक डाउन में भी उपज बेचने का नया तरीका निकाल लिया है। इसमें न बिचौलियों का झंझट है और न मंडी प्रशासन के नियमों का तकाजा, हालांकि अभी लोगों की आवाजाही कम होने के कारण बिक्री ज्यादा नहीं हो पा रही है। ' लॉक डाउन में कैसे बदला गांवों का जीवनÓ इस थीम को लेकर पत्रिका टीम ने को शहर के आसपास के सब्जी उत्पादक गांवों की स्थिति देखी तो किसानों ने खेती और व्यवसाय के नए तरीके निकाल लिए है। श्रमिक नहीं मिल रहे तो किसान परिवार के युवा और सभी सदस्य मिलकर खेतों से सब्जियां की तुड़ाई करते हैं और फिर एक-दो साथ मोटर साइकिलों पर शहर में सब्जियां बेचने के लिए निकल जाते हैं। हालांकि इस दौरान पुलिस रोक लेती और कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसके बावजूद कॉलोनियों में घूमकर और सड़कों के किनारे खड़े रहकर सब्जियां बेच रहे हैं। काला तालाब, अर्जुनपुरा, हाथीखेड़ा, हनुमतखेड़ा, खेडारसूलपुर, बडगांव, गिरधरपुरा, गोरधपुरा सहित दर्जनों गांवों में सब्जियों की पैदावार होती है। यहां से भिण्डी, मिर्ची, गिलकी व अन्य सब्जियां, जयपुर, दिल्ली, गुजरात आदि राज्यों में आपूर्ति होती थी, लेकिन लॉक डाउन के कारण सब बंद पड़ा है। काला तलाब निवासी किसान बृजराज ने बताया कि दस बीघा में सब्जी की खेती की थी। मजदूर नहीं मिलने के कारण अब परिवार के ही सभी सदस्य सुबह सब्जियों की तुलाई करते हैं। मंडी बंद होने के कारण सब्जियां बेचने की समस्या आई तो एक-दो दिन तो घर पर ही बैठे रहे, लेकिन सब्जियां खराब होती देखकर मोटरसाइकिल पर सब्जियां बेचने का काम शुरू कर दिया। रोजाना रात 12 बजे उठकर डीसीएम रोड पर सब्जियां बेचने के लिए खड़े हो जाते है। पूरे दाम तो नहीं मिल रहे, लेकिन क्या करें। अर्जुनपुरा के किसान राहुल सेन ने बताया कि तीन बीघा में गिलकी लगा रखी है। मंडी बंद होने के कारण मोटर साइकिल से ही गिलकी बेचने का काम शुरू कर दिया है। तड़के तीन बजे उठकर सब्जियां बेचने के लिए निकल जाते हैं। पिता एक साल पहले ट्र्रैक्टर से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे, इस कारण घर चलाने की जिम्मेदारी मेरे पर आ गई है।

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